पाकुड़। श्री सत्य साईं सेवा संगठन ने पाकुड़ में प्रेम तरु परियोजना के तहत एक वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के अंतर्गत पाकुड़ के प्रखंड संसाधन केंद्र में 5 पेड़ों का वृक्षारोपण किया गया। जिनमें आम, कटहल और कदंब शामिल हैं। इसके साथ ही, कुड़ापाड़ा शिव मंदिर और अन्य विद्यालय परिसरों में भी 5 पेड़ों का वृक्षारोपण किया गया।
प्रेम तरु परियोजना: एक नोबल उद्देश्य
प्रेम तरु परियोजना भारतीय संत श्री सत्य साईं बाबा के 100वीं जन्मतिथि के अवसर पर शुरू की गई है, जो 25 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। इस परियोजना के तहत, संगठन का उद्देश्य भारत में 1 करोड़ पेड़ लगाना है, और इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है कि इसमें युवाओं की भागीदारी हो। अब तक, इस परियोजना के तहत लगभग 10 लाख पेड़ भारत के विभिन्न हिस्सों में सफलतापूर्वक लगाए गए हैं।
कार्यक्रम की अगुवाई
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की अगुवाई पाकुड़ समिति के समन्वयक, बाबू कुमार दास सोरेन, और राज्यस्तरीय अधिकारी, देवकांत ठाकुर ने की। कार्यक्रम में युवाओं की भागीदारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। युवा समन्वयक, सत्यम कुमार, ने इस आदर्श के तहत युवाओं को संगठित किया और उन्हें वृक्षारोपण कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए नेतृत्व प्रदान किया। युवाओं में दीपक कुमार, राहुल राय, भरत यादव, सोम शेखर पांडेय, आदि शामिल थे, जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपने साथीयों के साथ मिलकर काम किया।
युवाओं के अलावा, इस अद्वितीय कार्यक्रम में महिलाएं भी भाग लीं, और उन्होंने भी अपना सामर्थ्य दिखाया। इसमें विभा पांडेय, कुसुम प्रमाणिक, चांदना मंडल, पूर्णिमा मंडल, चांदना यादव, पिंकी डूबे, संतना सरदार ने भी योगदान किया।
साथ ही इस कार्यक्रम में बीआरसी के गणेश भगत और नंदलाल साहा ने भी भाग लिया।
आर्थिक और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता
प्रेम तरु परियोजना का मुख्य उद्देश्य न केवल पेड़ों के बोने जाने में है, बल्कि यह एक साथी उद्देश्य भी अपनाती है – आर्थिक और पर्यावरण संरक्षण। इस परियोजना के माध्यम से संगठन ने समाज के सदस्यों में पेड़ों के महत्व को जागरूक किया है, और उन्हें यह सिखाया गया है कि पेड़ों के रुप में हमारे प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करने में हमारा कैसे महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।
साझा उद्देश्य: पेड़ों का संरक्षण
पेड़ों का संरक्षण और पौधों के लगाने का कार्य एक महत्वपूर्ण सामाजिक और पर्यावरणिक उद्देश्य है। इसके अलावे, यह परियोजना एक महत्वपूर्ण सांघटन भी है जो लोगों को एक ही उद्देश्य के लिए एकजुट कर रहा है – पृथ्वी के संरक्षण के लिए एक साथ काम करना।
प्रेम तरु परियोजना के इस कार्यक्रम से देखा गया कि युवा वर्ग और महिलाएं दोनों ही समाज में जिम्मेदारी उठा सकते हैं और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं। इससे हमारी पृथ्वी के हरियाली की रक्षा और बढ़ावा मिलेगा, और हम सभी मिलकर एक स्वस्थ और हरित भविष्य बना सकते हैं।
सांघटन का रूप: प्रेम तरु परियोजना
प्रेम तरु परियोजना ने एक सांघटन का रूप ले रहा है। जिसमें लोगों को पेड़ों के महत्व को समझाने और उन्हें पौधों के संरक्षण के प्रति सजग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह सांघटन न केवल पेड़ों के लगाने का कार्य कर रहा है, बल्कि यह एक जागरूकता का संवाहक भी है, जो लोगों को उनके प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करने के महत्व को समझाता है।
वृक्षारोपण का महत्व
वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन न केवल वातावरणिक महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह एक सामाजिक समागम का भी हिस्सा होता है। इसके माध्यम से लोग एक साथ मिलकर एक समृद्धि और पर्यावरण संरक्षण के दिशा में एक साथ काम करते हैं।
पर्यावरण का संरक्षण: सबकी जिम्मेदारी
प्रेम तरु परियोजना के तहत कार्यक्रम के अंतर्गत वृक्षारोपण करने से न केवल पेड़ों की वृद्धि होती है, बल्कि यह एक समय समाज के सदस्यों को उनकी पर्यावरणिक जिम्मेदारी के प्रति भी सजग करता है। यह समाज को सिखाता है कि हम सभी के पास अपने प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी है, और हमें इसमें सहयोग करना होगा।