Saturday, December 13, 2025
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एडिटर इन चीफ
धर्मेन्द्र सिंह

⚖️💻 झारखंड में न्याय की नई पहल: सभी जिलों में ऑनलाइन राष्ट्रीय लोक अदालत का भव्य शुभारंभ

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उच्च न्यायालय से हुआ वर्चुअल राष्ट्रीय लोक अदालतों का उद्घाटन

झारखंड में न्यायिक प्रक्रिया को अधिक सुलभ, त्वरित और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने राज्य के सभी जिलों में ऑनलाइन/वर्चुअल राष्ट्रीय लोक अदालतों का विधिवत उद्घाटन किया। यह उद्घाटन कार्यक्रम डिजिटल माध्यम से आयोजित किया गया, जिससे राज्य के प्रत्येक जिले को एक साथ जोड़ा गया।


गरिमामयी उपस्थिति में हुआ ऑनलाइन कार्यक्रम

इस अवसर पर झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद, न्यायाधीश एवं एचसीएलएससी के अध्यक्ष आनंद सेन तथा न्यायाधीश एवं दुमका न्यायाधीशालय के प्रशासनिक न्यायाधीश प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की गरिमामयी उपस्थिति में वर्चुअल माध्यम से राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ हुआ। सभी न्यायाधीशों ने लोक अदालतों की भूमिका को न्याय व्यवस्था की मजबूत कड़ी बताया।


पाकुड़ व्यवहार न्यायालय से वर्चुअल सहभागिता

पाकुड़ व्यवहार न्यायालय के वीडियो कॉन्फ्रेंस हॉल में वर्चुअल/ऑनलाइन माध्यम से इस राष्ट्रीय लोक अदालत कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देखा गया। इस दौरान प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ शेष नाथ सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक पदाधिकारियों ने कार्यक्रम में सहभागिता निभाई।


वरिष्ठ न्यायिक पदाधिकारियों की सक्रिय भागीदारी

कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय रजनीकांत पाठक, अपर सत्र न्यायधीश प्रथम कुमार क्रांति प्रसाद, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी संजीत कुमार चंद्र, डालसा सचिव रूपा बंदना किरो, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्जवल बेक एवं प्रभारी न्यायधीश विजय कुमार दास सहित कई न्यायिक पदाधिकारी उपस्थित रहे।


आठ बेंचों का गठन, विभिन्न वादों का हुआ निपटारा

डालसा सचिव रूपा बंदना किरो ने जानकारी दी कि साल के अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत के अवसर पर कुल आठ बेंचों का गठन किया गया। इन बेंचों में पारिवारिक एवं वैवाहिक विवाद, दुर्घटना दावा वाद, चेक बाउंस वाद, वाणिज्यिक विवाद, घरेलू हिंसा वाद, सेवा मामलों के वाद, आपराधिक समझौता योग्य वाद, उपभोक्ता विवाद वाद, ऋण वसूली, विभाजन वाद, बेदखली/निष्कासन वाद, भूमि अधिग्रहण वाद सहित अन्य सिविल मामलों का सुलह-समझौते के आधार पर निष्पादन किया गया।


रिकॉर्ड संख्या में मामलों का निष्पादन

इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 13,612 मामलों का निष्पादन किया गया, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। सुलह-समझौते के माध्यम से 30 करोड़ 26 लाख 49 हजार 388 रुपये की राशि का समझौता कराया गया, जिससे वादकारियों को त्वरित और किफायती न्याय प्राप्त हुआ।


न्याय को जन-जन तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम

ऑनलाइन/वर्चुअल राष्ट्रीय लोक अदालतों ने यह सिद्ध किया कि डिजिटल तकनीक के माध्यम से न्याय को आम लोगों तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है। इससे न केवल समय और धन की बचत होती है, बल्कि लंबित मामलों के बोझ में भी कमी आती है।


विभिन्न वर्गों की रही सक्रिय उपस्थिति

इस अवसर पर न्यायिक पदाधिकारी, कोर्ट कर्मी, मेडिकल टीम, पैरा लीगल वॉलिंटियर्स तथा वादी-प्रतिवादी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। सभी ने लोक अदालत की प्रक्रिया की सराहना करते हुए इसे न्यायिक सुधार की दिशा में एक सशक्त पहल बताया।

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