कार्यशाला का उद्देश्य और आयोजन
झालसा रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के तत्वावधान में शनिवार को पाकुड़ व्यवहार न्यायालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) पर जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ शेष नाथ सिंह ने की।
दीप प्रज्वलन से हुआ शुभारंभ
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह, अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रांति प्रसाद, सचिव रूपा बंदना किरो, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी, अधिवक्ता सिद्धार्थ शंकर, सीडीपीओ पाकुड़ डीएन आजाद और सीडीपीओ महेशपुर विजय कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। दीप प्रज्वलन के बाद कार्यशाला का औपचारिक संचालन शुरू हुआ।
न्याय दिलाने पर दिया जोर
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वाहन दुर्घटना मामलों में पीड़ितों को समय पर न्याय दिलाना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि दुर्घटना के दौरान से लेकर अंतिम निपटान तक पुलिस अधिकारी, डॉक्टर और बीमा कंपनियों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। न्यायाधीश ने कहा कि सभी को मानवता दिखाते हुए सहयोग करना चाहिए ताकि पीड़ित या पीड़िता को समय सीमा के भीतर न्याय मिल सके।
मुआवज़े और प्रक्रिया पर विस्तृत चर्चा
अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रांति प्रसाद ने अपने संबोधन में मुआवज़े की गणना, अंतरिम मुआवज़ा, वाणिज्यिक और निजी वाहन, पुनर्प्राप्ति अधिकार, न्यायाधिकरण और पुलिस के एमएसीटी सेल के बीच समन्वय जैसे मुद्दों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 158 (6) का उल्लेख करते हुए कहा कि विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट (डीएआर) का समय पर प्रस्तुत किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
इसके साथ ही उन्होंने हिट एंड रन मामलों, पीड़ित मुआवज़ा योजना और कानूनी कमियों पर भी विस्तार से विचार साझा किए।
अधिवक्ताओं की भूमिका और सुझाव
बार एसोसिएशन के अधिवक्ता सिद्धार्थ शंकर ने दुर्घटना मामलों से जुड़े विभिन्न कानूनी पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि मुआवज़े के निर्धारण में कई कारक अहम भूमिका निभाते हैं जैसे कि –
- चोट लगने की स्थिति में विकलांगता का आकलन
- मुआवज़े के प्रकार
- काल्पनिक आय का निर्धारण (नवीनतम कानून अनुसार)
- एडीआर के माध्यम से निपटान
- मृत्यु के मामलों में न्यायोचित मुआवज़ा
- एकरूपता और स्थिरता के मुद्दे
- ब्याज और दंडात्मक ब्याज
- वेतन और वसूली की अवधारणा
- थर्ड पार्टी देयता
उन्होंने कहा कि इन सभी बिंदुओं पर एकरूपता लाने से पीड़ित परिवारों को न्याय अधिक प्रभावी तरीके से मिल सकेगा।
संवादात्मक सत्र और समापन
कार्यक्रम के दौरान डालसा सचिव रूपा बंदना किरो ने मंच संचालन किया। वहीं अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी ने संवादात्मक सत्र में अपनी बात रखी और प्रतिभागियों से विचार-विमर्श किया। उन्होंने अंत में धन्यवाद ज्ञापन दिया और कार्यक्रम का समापन किया।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
कार्यशाला का महत्व
इस कार्यशाला का उद्देश्य वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) से जुड़े अधिकारियों, वकीलों और संबंधित विभागों को जागरूक करना था ताकि दुर्घटनाग्रस्त पीड़ितों को समय पर और न्यायोचित मुआवज़ा मिल सके। इस तरह के प्रयास से न केवल कानूनी प्रक्रिया में पारदर्शिता और गति आएगी बल्कि आमजन का न्यायपालिका पर विश्वास भी और मजबूत होगा।
यह कार्यशाला इस बात का प्रतीक है कि न्यायपालिका और विधिक सेवा प्राधिकरण मिलकर पीड़ितों को शीघ्र और उचित न्याय दिलाने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रहे हैं।