🏛️ जिला न्यायालय में चला सफल मध्यस्थता सत्र
झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा), रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ के तत्वावधान में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ शेष नाथ सिंह की अध्यक्षता में नब्बे दिवसीय मध्यस्थता अभियान के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण वाद का सफल समाधान किया गया।
यह पहल विवादों के न्यायालय के बाहर निपटारे की दिशा में एक सार्थक प्रयास के रूप में सामने आई है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया को भी राहत मिली और पक्षकारों को मानसिक शांति।
🤝 वर्षों से लंबित विवाद समाप्त, पक्षकारों ने जताई सहमति
इस अभियान के दौरान प्रशांत कुमार भगत बनाम मो. गुलाम सरवर से संबंधित वाद संख्या सीसी 297/24 (धारा 138, एन.आई. एक्ट) जो अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी, पाकुड़ के न्यायालय में लम्बित था, को मध्यस्थता के माध्यम से सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटा लिया गया।
इस मामले में दिनांक 8 जुलाई 2025 को एमपी संख्या 352/25 के तहत दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति बनी, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने वाद को समाप्त करने का सामूहिक निर्णय लिया।
💰 आपसी लेन-देन के माध्यम से मिला न्याय
मध्यस्थता प्रक्रिया के अंतर्गत अभियोजक एवं अभियुक्त के बीच आर्थिक लेन-देन की शर्तों पर समझौता हुआ, जिससे मामला कानूनी विवाद से हटकर आपसी सुलह में तब्दील हो गया। यह समाधान दोनों पक्षों के लिए न केवल मानसिक राहतदायक रहा, बल्कि समय और संसाधनों की भी बचत हुई।
👩⚖️ मध्यस्थता प्रक्रिया में अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका
इस सफल निष्पादन में अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्ज्वल बेक, मध्यस्थ अधिवक्ता, तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ की भूमिका अहम और सराहनीय रही। सभी ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि पक्षकारों को न्यायालय से बाहर भी न्याय की अनुभूति हो।
📣 सचिव रूपा बंदना किरो ने दी जानकारी
जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव रूपा बंदना किरो ने जानकारी दी कि प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह के नेतृत्व में चलाए जा रहे मध्यस्थता अभियान के तहत यह एक और सफल उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों से जनहित में न्याय प्रणाली को सरल, सुलभ और संवेदनशील बनाया जा रहा है।
✅ अभियान बना उदाहरण, बढ़ा लोगों का विश्वास
मध्यस्थता अभियान के माध्यम से न्याय प्राप्त करना एक तेजी से उभरता हुआ वैकल्पिक समाधान है, जिसने लोगों में न्यायपालिका के प्रति विश्वास और भरोसा और अधिक मजबूत किया है।
यह मामला आने वाले समय में अन्य लंबित मामलों के समाधान के लिए प्रेरणा बन सकता है।
नब्बे दिवसीय मध्यस्थता अभियान की यह सफलता न्यायालयों पर बढ़ते दबाव को कम करने, पक्षकारों को त्वरित न्याय देने और समाज में सौहार्द्र बनाए रखने की दिशा में एक प्रशंसनीय कदम है। न्यायपालिका द्वारा उठाया गया यह मानवीय प्रयास निश्चित ही न्याय को अधिक जनोपयोगी और संवेदनशील बनाता है।