पाकुड़। कृषि विज्ञान केंद्र, महेशपुर में समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर 15 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कुल 33 प्रशिक्षार्थियों ने भाग लिया। ये प्रशिक्षार्थी पाकुड़ जिले के विभिन्न लैम्पस, पैक्स के अध्यक्ष, सचिव, और अन्य कार्यकारिणी सदस्य थे। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और पोषक तत्वों के संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाना था।
जैविक खेती के महत्व पर चर्चा
प्रशिक्षण के दौरान डॉ. संजय कुमार, जो वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान हैं, ने जैविक खेती के वर्तमान युग में महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कृषि में रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसके समाधान के लिए राइजोबियम और ऐजोटोबैक्टर जैसे जैविक खादों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने इन खादों के प्रयोग और विस्तार को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया।
क्षमता विकास और प्रशिक्षण के उद्देश्य पर जोर
जिला आपूर्ति पदाधिकारी अभिषेक सिंह ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की सराहना करते हुए प्रशिक्षार्थियों के क्षमता विकास और प्रशिक्षण के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 25 नवंबर से शुरू होकर 9 दिसंबर को समाप्त होगा। इस दौरान प्रशिक्षार्थियों को मिट्टी की उर्वरा क्षमता बनाए रखने और पोषक तत्वों को संरक्षित करने के तरीकों पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
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मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने का संदेश
कार्यक्रम में मिट्टी की उर्वरता और पोषक तत्वों के संरक्षण के महत्व पर जोर दिया गया। जिला आपूर्ति पदाधिकारी ने कहा कि मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखना हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखने के लिए जैविक तरीकों का उपयोग करना ही सबसे अच्छा उपाय है। इसके माध्यम से पर्यावरण संतुलन को भी बनाए रखा जा सकता है।
प्रमाण पत्र वितरण और समापन
प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन के बाद सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए जाएंगे। यह प्रमाण पत्र उनकी जैविक खेती और पोषक तत्व प्रबंधन में विशेषज्ञता का प्रमाण होगा। इस पहल से न केवल कृषि क्षेत्र में सुधार होगा, बल्कि प्रशिक्षार्थियों के माध्यम से यह ज्ञान ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुंचेगा।
कृषि विज्ञान केंद्र महेशपुर का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम जिले के किसानों और कृषि संगठनों के लिए मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह के प्रयास कृषि और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सतत विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।