Tuesday, May 13, 2025
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30 Years Of Khalnayak । विलेन का रोल निभाना चाहते थे Anil Kapoor, ‘चोली के पीछे क्या है’ गाने की रिलीज से पहले तनाव में थे Subhash Ghai

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अनिल कपूर के साथ बातचीत को याद करते हुए सुभास घई से कहा, ‘उसने मुझसे कहा कि सुभाष जी, मैं यह रोल करने के लिए बहुत उत्सुक हूं। मैंने उससे कहा कि ये तुझे सूट नहीं करेगा। तू जाएगा, मैं जाऊंगा और फिल्म भी जाएगी।’

सुभास घई की सुपरहिट फिल्म ‘खलनायक’ को रिलीज हुए आज पूरे 30 साल बीत गए हैं। आज से तीन दशक पहले 6 अगस्त को ये फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। एक वो समय था और आज का समय है। न तो फिल्म और न ही इसके गानों को लेकर लोगों का क्रेज कम हुआ है। फिल्म के गाने जैसे ‘नायक नहीं खलनायक हूं मैं’ और ‘चोली के पीछे क्या है’ आज भी शादियों में डीजे पर बजते हैं। इनकी धुन सुनते ही लोग इन्हें गुनगुनाते लगते हैं। खलनायक के 30 साल पूरे होने की खुशी में निर्माता सुभास घई ने फिल्म और इससे जुड़े कुछ अनदेखे पहलुओं पर खास बातचीत की है।

अनिल कपूर बनना चाहते थे ‘खलनायक’

ई टाइम्स से बातचीत के दौरान सुभाष घई ने बताया कि खल नायक की कास्टिंग की अपनी एक अलग कहानी है। फिल्म निर्माता बस फिल्म के हीरो ‘राम’ के किरदार को निभाने वाले अभिनेता के नाम को लेकर निश्चित थे। ‘राम’ के लिए वह अभिनेता जैकी श्रॉफ को कास्ट करना चाहते थे, जो उन्होंने किया भी। लेकिन वह बाकी अन्य किरदारों के लिए कलाकारों के नाम पक्का नहीं कर पा रहे थे। सुभास ने कहा, ‘राम, निश्चित रूप से, जैकी श्रॉफ थे। यह किरदार निभाना सबसे आसान था। मैं उसके बारे में बहुत स्पष्ट था। अनिल कपूर खलनायक की भूमिका निभाने के इच्छुक थे। वह दो-तीन बार मेरे घर आये।’ अनिल कपूर के साथ बातचीत को याद करते हुए सुभास घई से कहा, ‘उसने मुझसे कहा कि सुभाष जी, मैं यह रोल करने के लिए बहुत उत्सुक हूं। मैंने उससे कहा कि ये तुझे सूट नहीं करेगा। तू जाएगा, मैं जाऊंगा और फिल्म भी जाएगी।’

‘चोली के पीछे’ की रिलीज से पहले तनाव में थे सुभाष घई

फिल्म ‘खलनायक’ की म्यूजिक एल्बम उस जमाने में एक बड़ी हिट साबित हुई। हालाँकि, इसकी रिलीज से पहले निर्माता फिल्म के गानों खासकर ‘चोली के पीछे’ को लेकर काफी तनाव में थे। लेकिन म्यूजिक एल्बम के रिलीज होते ही फिल्म का टाइटल ट्रैक और गाना ‘चोली के पीछे’ चार्टबस्टर साबित हुए। आनंद बख्शी के साथ खलनायक के गानों को लेकर हुई बातचीत को याद करते हुए सुभाष ने कहा, ‘गीत के बोल के साथ रात को उन्होंने मुझे फोन किया और मैं चौंक गया। मैंने कहा, “नहीं, हम इसे नहीं बना सकते।” वे हंसने लगे। लेकिन हां, मैं काफी तनाव में था, इसलिए हमने इसे एक कलात्मक गीत बनाने का फैसला किया। ऐसे कई संगठन थे जिन्होंने गाने का विरोध किया। लेकिन मैंने उनसे हमेशा इसे पूरा सुनने के लिए कहा। आज, इस गाने ने पंथ का दर्जा हासिल कर लिया है और युवाओं द्वारा इसका आनंद लिया जाता है।’



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