बस में बैठकर अब बच्चे घंटों पढ़ाई करेंगे. यहां की व्यवस्था देखकर 5 स्टार होटल भी फेल हो जाएगा. लेकिन आशर्चय की बात यह कि इस लाइब्रेरी को कबाड़ से बनाया गया है. पूर्णिया के बाल भवन किलकारी में इसको बनाया गया है. बिहार बाल भवन किलकारी जहां पर बच्चे अपनी पढ़ाई के अलावा नृत्य, संगीत, कला, प्रतियोगिता और अन्य विधाएं के साथ और बहुत कुछ सिखाया जाता है. वही, इस किलकारी भवन में आप अपने बच्चों को मात्र 10 रुपए सालाना खर्च पर पढ़ा सकते हैं.
किलकारी बाल भवन पूर्णिया में अंग्रेजों के जमाने की लगभग 90 साल पुरानी बस को डिजिटल लाइब्रेरी का स्वरूप दिया हैं. वही, अगर इस बस की खासियत की बात करें तो इस बस के अंदर बच्चे डिजिटल तरह और मैनुअल तरह से पढ़ाई कर सकते हैं.
चित्र के माध्यम से दी जाती है जानकारी
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बस में बच्चों को चित्र के माध्यम से कई नई जानकारी देने की कोशिश की गई है. बच्चों की सहूलियत के लिए बस के अंदर दुनिया के 7 अजूबे तस्वीर, राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय चिन्ह, राष्ट्रीय मछली और सभी ग्रहों की पूरी जानकारी चित्र के माध्यम से दी जाती है. डिजिटल किताब और गर्मी से बचने के लिए पंखें के साथ बच्चों को पढ़ाई में कोई दिक्कत ना हो इसके लिए इस बस को शांत माहौल दिया गया है.
कबाड़ बस को बना दिया लाइब्रेरी
पूर्णिया के बाल भवन किलकारी के प्रबंधक मुकुल रवि ने बताया कि बेकार पड़ी चीजों को उपयोगी बनाने में बहुत मजा आता हैं. उन्होंने कहा पिछले कुछ महीनों पहले उसने कागजी प्रक्रिया के साथ 90 साल पुरानी बस को लेकर आए. यह अंग्रेजों के जमाने की बस है. उसे अपने कैंपस में लाकर मोडिफाइ कराकर कबाड़ बस को लाइब्रेरी बना दिया गया. बस को पूरी तरह डिजिटल लाइब्रेरी का स्वरूप दे दिया गया. बस में हर एक व्यवस्था को छात्र हित में ध्यान रखते हुए की गई है. बच्चे यहां आसानी से पढ़ सकते हैं.
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