[ad_1]
सुधांशु चौबे/कैमूर. बिहार का कैमूर जिला ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता है. यहां कई पुरातात्विक अवशेष मौजूद है, जिसका इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है. जिला के रामगढ प्रखंड अंतर्गत एक चबूतरा मौजूद है जो भगवान राम से जड़ा हुआ है. ऐसी मान्यता है कि अयोध्या से महर्षि विश्वामित्र के आश्रम जाने के दौरान प्रभु श्री राम और लक्ष्मण इसी चबूतरे पर कुछ देर के लिए विश्राम किए थे. तब से यह स्थल लोगों के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है और लोग रोजाना यहां पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. अब इस चबूतरे का पक्कीकरण कर दिया गया है.
ऐतिहासिक चबूतरे की मिट्टी को मस्तक पर लगाते हैं लोग
रामगढ़ में दूर तक फैले इस मैदानी इलाके में अवस्थित ऐतिहासिक चबूतरे की मिट्टी को लोग अपने मस्तक पर श्रद्धा पूर्वक तिलक लगाते हैं और प्रभु श्री राम, लक्ष्मण और महर्षि विश्वामित्र के प्रतिबिंब का अनुभव कर प्रफुल्लित होते हैं.
स्थानीय लोग बताते हैं कि अयोध्या से आते वक्त प्रभु श्री राम इस क्षेत्र को देखकर काफी खुश हुए थे और अपने अनुज लक्ष्मण और महर्षि विश्वामित्र के साथ रामगढ़ के रास्ते ही बक्सर के चरित्रवण पहुंचे थे. जहां राक्षसी ताड़का का वध किया था. प्रभु श्रीराम ने राक्षसी का वध कर विश्वामित्र के तपोभूमि को आसुरी शक्ति से मुक्त कराया था. शांतिपूर्वक यज्ञ कराने के बाद यहीं से मिथिला के लिए प्रस्थान किर गए थे.
90 के दशक तक लगता रहा भव्य मेला
कैमूर के रामगढ़ में 90 के दशक तक भव्य मेला का आयोजन होता रहा. साथ हीं यहां बड़ं पैमाने पर रामलीला का भी मंचन रहा ताकि लोग अपनी आस्था को जीवंत रख सके. वहीं यहां रामगढ़ के अलावा चौसा, मोहनिया, दुर्गावती सहित अन्य स्थानों से लोग मेला घूमने आया करते थे. लेकिन शहरीकरण के इस दौर में मेला का अस्तित्व अब सिमट कर समाप्त हो गया है. जिस स्थल पर मेला लगता था, वहां अब विद्युत पावर प्लांट बन गया है. जमीन के कुछ हिस्से पर स्थानीय लोगों द्वारा जबरन घर बना लिया गया है. स्थिति यह हो गई कि जगह की कमी के चलते अब मेला नहीं लग पाता है.
.
FIRST PUBLISHED : July 15, 2023, 22:59 IST
[ad_2]
Source link