झारखंड में सरकार की अगुवाई कर रहा झारखंड मुक्ति मोर्चा शनिवार यानी चार फरवरी को 50 साल का हो जाएगा. बिहार से बांट कर अलग राज्य बनाने के आंदोलन को निर्णायक बनाने के लिए साल 1973 में धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में आयोजित एक रैली में इस पार्टी की नींव रखी गई थी. उस समय से लेकर आज तक इस पार्टी ने आंदोलनों से सत्ता तक का सफर तय करने में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं.
36 साल से अध्यक्ष हैं शिबू सोरेन
जानकारी हो कि शिबू सोरेन पिछले 36 सालों से लगातार झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हैं. देश की राजनीति में किसी एक शख्स का किसी राजनीतिक दल में इतने लंबे वक्त तक पार्टी का अध्यक्ष बने रहना अपने आप में एक रिकॉर्ड है. वर्ष 2021 के दिसंबर में झामुमो के अधिवेशन में शिबू सोरेन को लगातार 10वीं बार सर्वसम्मति से अध्यक्ष और उनके पुत्र झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को तीसरी बार कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया था.
आज भी झामुमो के पर्याय हैं शिबू सोरेन
झामुमो सुप्रमो शीबू सोरेने अब अपनी बढ़ती उम्र के कारण बहुत सक्रिय नहीं हैं, लेकिन आज भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के पर्याय माने जाते हैं. यह सभी जानते हैं कि वे जब तक हैं, पार्टी के अध्यक्ष के लिए किसी और नाम की चर्चा भी नहीं हो सकती. शिबू सोरेन के बाद उनके पुत्र हेमंत सोरेन निर्विवाद रूप से झामुमो के सबसे बड़े नेता हैं. आठ वर्षों से संगठन में कार्यकारी अध्यक्ष पद पर हेमंत सोरेन की मौजूदगी बताती है कि पार्टी की शीर्ष कमान पिता से पुत्र यानी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ट्रांसफर हो चुकी है. यहां यह भी कहना होगा कि हेमंत सोरेन ने खुद को शिबू सोरेन का सफल उत्तराधिकारी साबित भी किया है. पार्टी ने 2019 में राज्य में विधानसभा चुनाव उनकी अगुवाई में ही लड़ा और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए राज्य की सत्ता हासिल की.
पांच बार झामुमो को मिल चुकी है सत्ता की कमान
जानकारी हो कि 15 नवंबर 2000 को झारखंड के अलग राज्य बनने से लेकर अब तक राज्य में पांच बार सत्ता की कमान झामुमो यानी सोरेन परिवार के पास आ चुकी है. 2005, 2008 और 2009 में शिबू सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री बने थे, जबकि 2013-14 में हेमंत सोरेन पहली बार मुख्यमंत्री बने. हालांकि, ये चारों सरकारें अल्पजीवी ही रहीं. 2019 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जेएमएम की अगुवाई में पांचवीं बार सरकार बनी और हेमंत सोरेन दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. जेएमएम की यह अब तक की सबसे लंबी चलनेवाली सरकार है. पार्टी के पिछले अधिवेशन में हेमंत सोरेन जब कार्यकारी अध्यक्ष चुने गए तो उन्होंने कहा था कि पहले विरोधी हमारे बारे में दुष्प्रचार करते थे कि आदिवासी-मूलवासी भला क्या सरकार चलायेंगे? ये लोग तो दारू-हड़िया पीकर मस्त रहते हैं, लेकिन दो वर्षों के कार्यकाल में ही हमने दिखा दिया कि झारखंड के गरीबों, मजदूरों, शोषितों और किसानों के हक में सरकार को कैसे काम करना चाहिए.