Sunday, May 18, 2025
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ये बच्चे हैं सनातन धर्म के ध्वजारोहक, मंत्रों का करते हैं उच्चारण

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जितेन्द्र कुमार झा/लखीसराय: देववाणी संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है और सभी भाषाओं की जननी है. विश्व के साहित्यकार एकमत से स्वीकार करते हैं कि संसार का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद और यह वेद संस्कृत भाषा में है. लखीसराय जिला स्थित महादेव शुभकरण त्रिवेणी वेद संस्थान के बच्चे जब वैदिक मंत्रोच्चार का जाप करते हैं तो आस-पास के लोग भी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.

सनातन धर्म के ये नन्हे ध्वजारोहक ऐसे धारा प्रवाह संस्कृत का उच्चारण करते हैं कि सुनने वाले दांतो तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाते हैं. इस विद्यालय के आस-पास के लोग बताते हैं कि जब बच्चे वेद पाठ करते हैं तो उनका आवाज सुनकर ऐसा लगता है मानो वातावरण में शांति छा गई है और जो यहां के बच्चे अध्यनरत हैं वह अलौकिक प्रतिभा के धनी है.

‘युवा पीढ़ी विदेशी सभ्याचार की बजाय अपने सनातन धर्म को समझे’

अशोक धाम स्थित वेद विद्यालय के आचार्य दिलीप कुमार दुबे ने बताया कि ब्राह्मणों को चाहिए कि बच्चों को इकट्ठा कर उन्हें संस्कृति, पुराण, वेद, भगवान की जीवन कथाओं से अवगत कराएं ताकि युवा पीढ़ी विदेशी सभ्याचार की बजाय अपने सनातन धर्म को समझे. दिलीप कुमार दुबे ने बताया कि हमें अपने लिए प्रतिदिन कर्मकांड एवं पूजा-पाठ करना आवश्यक है. साथ हीं आवश्यकता पड़ने पर दूसरों का भी विधि पूर्वक कर्मकांड एवं पूजा-पाठ कराया जा सकता है.

कर्मकांड के लिए शुद्ध मंत्रोच्चारण है जरूरी

आचार्य दिलीप कुमार दुबे ने बताया कि कर्मकांड के लिए शुद्ध मंत्रोचार जरूरी है. हमारे सभी कर्मकांड एवं पूजा-पाठ देववाणी संस्कृत भाषा में मंत्र उच्चारण में किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि वेद के अंतर्गत सामवेद, यजुर्वेद एवं भारतीय पद्धति की जानकारी आवश्यक है. वहीं वेद विद्यालय के छात्र देवराज ने बताया कि गुरु जी हमें कठिन से कठिन मंत्रों को काफी सरलता और सहजता से समझाते हैं और लगातार यह वेद विद्यालय जिले में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

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