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नकुल कुमार, पूर्वी चम्पारण. पूर्वी चंपारण के तेतरिया ब्लॉक में बड़े पैमाने पर पान की खेती की जाती है. इससे किसानों को अच्छा खासा मुनाफा होता है.अगर आप भी पान की खेती करने की सोच रहे हैं, लेकिन पता नहीं है कि कैसे इसकी खेती की जाती है, तो चलिए आज हम आपको पान की खेती करने वाले एक किसान से मिलवाते हैं, जो इसकी खेती के बारे में सही-सही जानकारी देंगे. दरअसल,तेतरिया प्रखंड के रहने वाले दीनानाथ प्रसाद चौरसिया 1980 से पान की खेती कर रहे हैं. यह उनका पुश्तैनी काम रहा है. लेकिन उनकी अगली पीढ़ी पान की खेती करेगी अथवा नहीं, यह वे नहीं कह सकते हैं, क्योंकि अब इसमें लागत काफी ज्यादा और मुनाफा काफी कम हो रहा है.
22 दिन लगातार करना पड़ता है पटवन
किसान दीनानाथ कहते हैं कि जब नया-नया पान की खेती की जाती है, तो उसमें शुरुआती दिनों में लगातार 22 दिनों तक तीन से चार वक्त पटवन किया जाता है. इसके पौधों को चैत्र-वैशाख में कड़ाके की धूप से बचाया जाता है. इस दौरान धान, गेहूं, उड़द अथवा खरी पौधों के जड़ों पर खाद के रूप में दिया जाता है. पान के पत्ते की लता जब बड़ी-बड़ी हो जाती है, तो उसमें काश बंधन किया जाता है. इसके अंतर्गत कंडे के लंबवत सीक में खर से बांधा जाता है. इसके कुछ दिन बाद इसमें कटाई चटाई की जाती है. उसके बाद पान का पत्ता बेचने के लिए तैयार हो जाता है.
कार्तिक महीने में मिलता है अच्छा रेट
किसान दीनानाथ ने बताया कि पान का पत्ता वे अपने स्थानीय मार्केट ढाका, बेतिया, सीतामढ़ी अथवा शिवहर में बेचते हैं. इसके लिए वे पान की ढोली तैयार करते हैं. एक ढोली में 100 से 200 पत्ते होते हैं. वहीं, रेट की बात करें तो एक ढोली की कीमत 10 से लेकर 40-50 तक हो जाता है. किसान बताते हैं कि अभी पान का सीजन चल रहा है. इसलिए पान का रेट नहीं मिल पा रहा है, जबकि कार्तिक महीने में कोलकाता वाला पान नहीं आ रहा होता है. उस समय स्थानीय पान की डिमांड बढ़ जाती है.
रेट भी अच्छा मिलता है. ऑफ सीजन में यह 50 प्रति ढोली तक बिकता है. वे कहते हैं किजिस तरह से अन्य फसलों में बीमा की सुविधा उपलब्ध है, उसी तरह से पान किसानों को भी बीमा का लाभ मिलना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक किसान पान की खेती कर सकें.
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Tags: Bihar News, Farming, Gopalganj news
FIRST PUBLISHED : July 18, 2023, 10:11 IST
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