
पाकुड़। संताली भाषा बचाओ मोर्चा पाकुड़ के जिला अध्यक्ष रासका हेमब्रम के नेतृत्व में शहर कॉल स्थित बंद पेट्रोल पंप के निकट 14 सूत्रीय मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया एवं मुख्यमंत्री झारखंड सरकार को उपायुक्त के माध्यम से मांग पत्र समर्पित किया गया।
मांग पत्र में के जी से लेकर पी जी तक देवनागरी लिपि से मातृ भाषा संताली में पुस्तकों का अनुवाद करने की मांग की गई है। इस संबंध में तर्क देते हुए अध्यक्ष ने लिखा है की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत वर्ग 1 से 5 तक के छात्रों को अपनी मातृभाषा के माध्यम से पढ़ाने का प्रावधान किया गया है। प्रशासनिक स्तर से संथाली, मुंडारी, हो, खड़िया भाषा से अनुवाद करने का कार्य झारखंड काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर रांची द्वारा किया जा रहा है। किंतु कुछ लिपि कट्टरपंथी संगठनों द्वारा ओलचिकी लिपि में अनुवाद करने एवं पढ़ाने का जोर दिया जा रहा है।
उन्होंने पत्र में कहा है ओलचिकी लिपि का आविष्कार उड़ीसा में हुआ है। यह त्रुटिपूर्ण एवं दोषपूर्ण तथा और अवैधानिक है। जो संथाली भाषा के शब्दों का सही उच्चारण करने में समर्थ नहीं है। ओलचिकी लिपि उच्चारण और शुद्धता की का अभाव है। व्याकरण के दृष्टिकोण से कहीं नहीं ठहरता है। ओलचिकी लिपि संथाली भाषा को अशुद्ध अपंग अपभ्रंश बना रही है। संथाली भाषा विश्व के सभी जनजाति भाषा से समृद्ध और विशुद्ध भाषा है। वर्ग प्रथम से वर्ग पंचम तक के छात्रों को देवनागरी एवं एवं रोमन लिपि में ज्ञान दी जाती है। सभी बच्चों को इस का ज्ञान है।
उन्होंने बताया कि संविधान और अन्य जगहों पर भी संथाली भाषा की अहमियत दी गई है। शिक्षकों की नियुक्ति भी की जा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की है की संताली भाषा की व्याकरण में शुद्धता तथा संथाल जनजाति छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए वर्ग प्रथम से पांच तक देवनागरी लिपि से संथाली पुस्तकों का अनुवाद करने कृपा करें। ताकि बच्चों को पढ़ाई में असुविधा ना हो। धरना प्रदर्शन में सैकड़ों आदिवासी समाज के व्यक्तियों के साथ-साथ बुद्धिजीवी वर्ग शामिल थे।