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ISRO ने बताया, “इन टेस्ट्स से प्रोपल्शन सिस्टम के प्रदर्शन को बेहतर किया जाएगा और इससे गगनयान मिशन की तैयारी सुनिश्चित होगी।” इसे ‘हॉट टेस्ट्स’ कहा जाता है। इस मिशन के सर्विस मॉड्यूल में ये दूसरे और तीसरे हॉट टेस्ट्स थे। पहला हॉट टेस्ट पिछले महीने किया गया था। इसके बाद तीन और हॉट टेस्ट किए जाने हैं।
इस महीने की शुरुआत में ISRO ने चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया था। इससे भारत चंद्रमा की सतह पर अपने स्पेसक्राफ्ट को लैंड कराने वाला चौथा देश बन जाएगा। चंद्रयान-3 का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग और रोविंग की देश की क्षमता को प्रदर्शित करना है। चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफलतापू्र्वक लैंडिंग के बाद रोवर बाहर आएगा और इसके चंद्रमा पर 14 दिनों तक कार्य करने की उम्मीद है। इस रोवर पर लगे कई कैमरा से इमेजेज ली जा सकेंगी। इससे चंद्रमा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।
चंद्रमा पर देश के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 को लगभग चार वर्ष पहले लॉन्च किया गया था। हालांकि, विक्रम लूनर लैंडर के चंद्रमा पर क्रैश होने के कारण यह मिशन नाकाम हो गया था। ISRO ने Gaganyaan प्रोजेक्ट में जल्दबाजी नहीं करने का फैसला किया है। इस मिशन को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि जिससे यह पहली कोशिश में ही सफलता हासिल कर सकेगा। इसके लिए टेस्टिंग और डिमॉन्स्ट्रेशन को बढ़ाया गया है। हाल ही में ISRO के डायरेक्टर, S Somanath ने बताया था कि गगनयान को दो वर्ष पहले लॉन्च किया जाना था लेकिन कोरोना की वजह से इसमें देरी हुई है। उन्होंने कहा था, “हमारी सोच अब अलग है। हम जल्दबाजी नहीं करना चाहते। हमने फैसला कर लिया है। इस ह्युमन स्पेस फ्लाइट का मुख्य उद्देश्य एक पूरी तरह निश्चित सुरक्षित मिशन है।” पिछले कुछ वर्षो में देश ने अंतरिक्ष से जुड़े अभियानों में अपनी एक्सपर्टाइज को बढ़ाया है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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