Sunday, June 8, 2025
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बिहार में जाति आधारित गणना होगी या नहीं? पटना हाई कोर्ट में महत्वपूर्ण फैसला आज

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हाइलाइट्स

जातीय जनगणना मामले में मंगलवार को आएगा फैसला.
पटना उच्च न्यायालय की 2 सदस्यीय पीठ सुनाएगा फैसला.
याचिकाकर्ताओं ने जातीय गणना रोकने की अपील की थी.

पटना. बिहार में जाति आधारित गणना के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर चार मई को पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज इस मामले में अदालत अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाएगी. जातीय जनगणना मामले में मंगलवार को पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की पीठ अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाएगा. याचिकाकर्ताओं ने जातिगत जनगणना रोकने की अपील की है.

बता दें कि जाति आधारित जनगणना प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए पांच अलग-अलग याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी, जिसपर कोर्ट कई दिनों तक सुनवाई की थी और अपना महत्वपूर्ण फैसला को सुरक्षित रख लिया था. अब इस पर मंगलवार को पहली पाली साढ़े दस बजे ही सुनाया जा सकता है.

पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की पीठ ने एक साथ पांच याचिकाओं पर सुनवाई की थी और सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि में इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने जातीय जनगणना पर सवाल उठाते हुए उसे तत्काल रोकने के लिए दलील दी थी.

यहां यह भी बता दें कि याचिकाकर्ताओं की दलील पूरी होने के बाद राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता पीके शाही ने सभी सवालों का कोर्ट में जवाब दिया था. सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ने कहा था कि जाति आधारित गणना के लिए जो 17 सवाल तय किए गए हैं, उससे किसी की गोपनीयता भंग नहीं हो रही है.

सरकार की ओर से कहा गया कि कुछ चुनिंदा लोग इसका विरोध कर रहे हैं; जबकि ज्यादातर लोग अपनी जाति बताने से परहेज नहीं कर रहे हैं. लोग अपनी मर्जी से सभी 17 सवालों का जवाब दे रहे हैं. महाधिवक्ता ने हाई कोर्ट में यह भी कहा कि सरकार को गणना करने का अधिकार है.

जातीय गणना पर सरकार ने यह दिया था तर्क
जातीय गणना को लेकर पटना हाई कोर्ट में जो याचिकाएं दायर की गई उस पर बहस के दौरान राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ने तर्क दिया था सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए सभी अपनी जाति बताने को आतुर रहते हैं. उन्होंने नगर निकायों एवं पंचायत चुनावों में पिछड़ी जातियों को कोई आरक्षण नहीं देने का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी को 20 प्रतिशत, एससी को 16 फीसदी और एसटी को एक फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है.

महाधिवक्ता ने कहा था कि अभी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 50 फीसदी आरक्षण दिया जा सकता है. राज्य सरकार नगर निकाय और पंचायत चुनाव में 13 प्रतिशत और आरक्षण दे सकती है. सरकार ने कोर्ट में तर्क दिया कि इसलिए भी जातीय गणना जरूरी है. बहरहाल, तमाम पड़ावों से होते हुए अब इस विवाद पर सबको अब फैसले का इंतजार है.

Tags: Caste Based Census, Caste identity, Caste politics, Caste Proof, Patna high court

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