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आकाश कुमार/जमशेदपुर. जमशेदपुर शहर से करीब 25 से 30 किलोमीटर दूर टाटा-रांची हाई-वे पर सुवर्ण रेखा नदी के तट के पास स्थित प्राचीन जायदा बूढ़ा बाबा शिव मंदिर है. मंदिर चारों ओर से हरियाली की खूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है. यहां तक भक्तों को दर्शन करने के लिए पक्की सड़क भी बनाई गई है. कुछ वर्ष पहले ही पर्यटन विभाग की ओर से पूरे मंदिर का कायाकल्प कराया गया था. परिसर में प्राचीन शिवलिंग के अलावा मां पार्वती, हनुमान, नंदी आदि का मंदिर भी है. पूरा सावन मंदिर व आसपास के इलाके में हर-हर महादेव की जयकारा गूंजते रहता है.
18 वीं व 19वीं सदी के मध्यकालीन दिनों में केरा (वर्तमान खरसावां) महाराज जयदेव सिंह सुवर्ण रेखा नदी किनारे स्थित पहाड़ी पर शिकार करने गए थे. उन पर जायदा बूढ़ा बाबा की कृपा हुई तो कुछ दिनों के भीतर महाराज जयदेव सिंह को सपना आया, जिसकी प्रेरणा लेकर उन्होंने ईचागढ़ के राजा विक्रमादित्यदेव को जायदा बूढ़ा बाबा के बारे में जानकारी दी. इसके बाद ईचागढ़ राजा की देखरेख में जायदा मंदिर की नींव रखी गई.
इस साल हुआ था ब्रह्मानंद सरस्वती का आगमन
वर्ष 1966 में इस पवित्र धाम में जूना अखाड़ा के बाबा ब्रह्मानंद सरस्वती का आगमन हुआ. इसके बाद ब्रह्मानंद सरस्वती व स्थानीय ग्रामीणों के कठोर परिश्रम से मंदिर का पूर्ण निर्माण संपन्न हुआ. इसका इतिहास मंदिर के समीप एक पट पर भी लिखा गया है. इससे श्रद्धालुओं को मंदिर के बारे में पूरी जानकारी मिलती है.
श्रद्धालुओं की ठहरने की व्यवस्था है
लोकल 18 को यहां के पुजारी महंत केशवानंद सरस्वती ने बताया की सावन में प्रत्येक सोमवार को यहां खीर, हलुआ आदि का प्रसाद वितरण किया जाता है. बारिश के दिनों में सुवर्ण रेखा नदी पर पानी का बहाव तेज होने के कारण स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा के लिहाज से पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती भी की गई है. नदी के तट को बैरिकेड कर दिया गया है.
मंदिर परिसर में दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं की ठहरने की व्यवस्था है. यहां मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं की कतार में लगने की व्यवस्था के साथ जूना अखाड़ा व स्थानीय ग्रामीणों के सैकड़ों स्वयंसेवक तैनात रहते हैं. वर्तमान में मंदिर का संचालन जूना अखाड़ा के महंत केशवानंद सरस्वती कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 03, 2023, 18:12 IST
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