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गुलशन सिंह/बक्सर. यह कहानी है एक ऐसे परिवार की है जो मेहनत के बूते अपनी गरीबी को मात दे रहा है. दरअसल, बक्सर के चरित्रवन में रहनेवाले गोरख की गुड़िया खूब बिक रही है. या यूं कहें कि लोकप्रिय बार्बी डॉल को स्थानीय स्तर पर टक्कर दे रही है. गोरख पिछले एक साल से घर पर गुड़िया बनाकर मेला और बाजार में बेच रहे हैं.
गोरख बताते हैं कि पहले लुधियाना की एक फैक्ट्री में काम करते थे. लेकिन लॉकडाउन के समय उनकी नौकरी चली गई और वे बेरोजगार हो गए. घर लौट तो आए पर माली हालत बिगड़ने लगी. घर में बूढ़ी मां, मूक-बधिर पत्नी के साथ बच्चों को पालना मुश्किल होने लगा. इन परिस्थितियों में भी गोरख ने हार नहीं मानी. उन्होंने बताया कि एक कारीगर से गुड़िया बनाने का तरीका सीखा. फिर घर पर सामग्री लाकर खुद से गुड़िया बनाई और बाजार में बेचना शुरू किया. धीरे-धीरे उनकी गुड़िया का बाजार बनने लगा. उन्हें मुनाफा हुआ तो पत्नी और बच्चे भी काम में हाथ बंटाने लगे.
प्रति दिन एक हजार रुपए कमाई
गोरख ने बताया कि बनारस और दिल्ली से गुड़िया की सामग्री मंगाते हैं. फिर खुद से गुड़िया तैयार करते हैं. रोजाना 25 से 30 गुड़िया तैयार कर लेते हैं. इसमें विभिन्न आकार के हिसाब से रेट तय किया गया है. उन्होंने बताया कि 50 रुपए से लेकर 150 रुपए तक की गुड़िया उपलब्ध है. इसके अलावा पेपर और कपड़े से रंग-बिरंगे तोते भी बना लेते हैं. जिसे गुड़िया के साथ ही बेचते हैं. उन्होंने बताया कि सुबह 4 बजे जग कर इस काम को करने में लग जाते हैं. वहीं सुबह 9 बजे ठेला पर गुड़िया रखकर बाजार में बेचने चले जाते हैं. बड़े साइज की गुड़िया को तैयार करने में 80 रुपए खर्च आता है जबकि छोटे साइज वाले में 30 रुपए और 50 रुपए खर्च आता है. इस प्रकार एक गुड़िया पर उन्हें न्यूनतम 20 रुपए और अधिकतम 70 रुपए तक की बचत हो जाती है. कुल मिलाकर एक दिन में औसत 1000 रुपए मुनाफा कमा लेते हैं.
बड़े व्यवसायी देते हैं थोक ऑर्डर
गोरख ने बताया कि शहर के रामरेखा घाट, नाथ बाबा घाट सहित तमाम मंदिरों के पास ठेला लगाकर गुड़िया बेचते हैं. वहीं बक्सर के अलावा सासाराम, भोजपुर सहित अन्य पड़ोसी जिलों में कही यज्ञ अथवा मेला लगता है तो वहां भी बेचने के लिए चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए उनकी कोई स्थायी दुकान नहीं है. घूम-घूमकर गुड़िया बेचते हैं. उन्होंने बताया कि बनारस से उन्हें कई बार ऑर्डर भी मिल जाता है. एक बार में 500 पीस गुड़िया बनाकर भेजनी होती है. इसमें काफी अच्छी बचत हो जाती है. गोरख ने बताया कि नौकरी जाने के बाद जब इस धंधे को शुरू किया तो पहले की अपेक्षा उनकी आर्थिक स्थिति में काफी बदलाव आया है.
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Tags: Buxar news, Inspiring story, Local18
FIRST PUBLISHED : August 04, 2023, 07:30 IST
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