Monday, November 25, 2024
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साथ की पढ़ाई और अब साथ ही कर रहे कमाई, मिलें रांची के आशीष और निशांत से

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शिखा श्रेया/रांची. कहा जाता है कि दोस्ती पैसे की तरह होती है, बनाना तो आसान होती है पर निभाना बहुत मुश्किल. लेकिन इस मुश्किल काम को भी झारखंड की राजधानी रांची के रहनेवाले दो दोस्तों ने आसान कर दिखाया और बचपन से लेकर आज तक स्कूल से लेकर कॉलेज और कॉलेज से लेकर बिजनेस पार्टनर तक का सफर अपनी अटूट दोस्ती की बदौलत निभा रहे हैं.

हम जिन दो दोस्त के बारे में बात कर रहे हैं वे हैं आशीष और निशांत. आशीष रांची के रातू रोड में रहते हैं जबकि निशांत रिंग रोड के पास. आशीष और निशांत दोनों ही रांची के कैंब्रियन पब्लिक स्कूल में पढ़े हैं व प्लस टू भी कॉमर्स स्ट्रीम से एक साथ पास किया. इसके बाद पढ़ाई के लिए मुंबई गए जहां से दोनों ने बीकॉम किया.

कभी नहीं छोड़ा साथ

आशीष ने लोकल 18 को बताया, हमारी दोस्ती 25 साल पुरानी है और इस दोस्ती की सबसे खास बात यह है कि हमने किसी भी परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा. चाहे जैसी भी परिस्थिति क्यों न आ जाए, अच्छी या बुरी, हम दोनों एक-दूसरे के लिए हमेशा खड़े रहे हैं. स्कूल और कॉलेज के दिनों में हम दोनों स्कूल के बाद एक ही साथ बैठकर 4-5 घंटे पढ़ाई किया करते थे.

रेस्टोरेंट में पार्टनर

उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा भी आया जब पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद मैंने पॉलिटिक्स का हाथ थामा और फिर कुछ दिनों बाद मेरी स्थिति ठीक नहीं थी. मुझे कोई अच्छे काम की तलाश थी. इस दौरान मेरा सबसे बड़ा सहारा निशांत बना. उसने पढ़ाई के बाद एक रेस्टोरेंट खोला था रांची के डांगराटोली चौक पर. मेरे करियर को बचाने के लिए उसने अपने रेस्टोरेंट में मुझे पार्टनर बनाया. सिर्फ पार्टनर ही नहीं बल्कि एक रेस्टोरेंट मैंने भी खोला जिसमें निशांत पार्टनर बन कर मुझे सपोर्ट कर रहा है.

मुश्किल समय में दोस्ती की पहचान

निशांत ने बताया कि आशीष की जिंदगी में कैरियर को लेकर थोड़ा मुश्किल दौर था. तब मैंने रेस्टोरेंट्स के पार्टनरशिप के जरिए इसे सपोर्ट किया. लेकिन आशीष ने भी मेरे बुरे वक्त में मेरा बहुत सपोर्ट किया. एक समय था जब मेरी तबीयत बहुत खराब हो गई थी. ईयर में इंफेक्शन के चलते कई दिनों तक मुझे बेड पर रहना पड़ा था. उस समय आशीष था जिसने पूरे रेस्टोरेंट की देखभाल की और एक रेस्टोरेंट से आज हमने तीन रेस्टोरेंट खड़ा कर दिया. जिसमें जश्न व तितली रेस्टोरेंट और हिचकी ठेला शामिल हैं.

दोस्ती में इगो नहीं

निशांत बताते हैं कि हमारी दोस्ती इतने लंबे समय से चली आ रही है और आज भी काफी मजबूत है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि हमारी दोस्ती में कोई इगो जैसी चीज नहीं है. आशीष बताते हैं कि हम बिजनेस पार्टनर के रूप में कुछ फैसला लेते हैं तो हम अपने इगो को साइड रखकर एक दूसरे की ओपिनियन को खुले दिमाग से समझते हैं और जो रेस्टोरेंट और कस्टमर के लिए बेहतर होता है हम वही करते हैं. यही कारण है कि हमारा बिज़नेस आज कामयाब है. क्योंकि घमंड और इगो दो ऐसी चीजें होती हैं जो दोस्ती को बिगाड़ती हैं.

Tags: Friendship Day, Local18, Ranchi news

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