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जितेन्द्र कुमार झा/ लखीसराय. खुद से जीतने की जिद है मुझे, मुझे खुद को हीं हराना है, मैं भीड़ नहीं हूं दुनिया की, मेरे अंदर भीएक जमाना है. जी हां यह पंक्ति लखीसराय जिला के रामटोला बालू गांव की रहने वाली संध्या कुमारी पर सटीक बैठता है. इसी जिद ने संध्या को सफल बनाया और सिलाई का प्रशिक्षण लेकर बिहार के विभिनन जिलों में जाकर महिलाओं और युवतियों को इसकी ट्रेनिंग दे रही है. हालांकि यह राह इतना आसान भी नहीं था. लेकिन संघर्ष के बूते संध्या ने जो मुकान हासिल किया है उसकी लोग तारीफ कर रहे हैं. संध्या ने पीएनबी ग्रामीण स्वरोजगार केंद्र के माध्यम से सिलाई करने की ट्रेनिंग ली और वर्तमान में दूसरों को भी प्रशिक्षण देने का कार्य कर रही है.
संध्या ने बताया कि महज 14 वर्ष की उम्र से हीं सिलाई करने की ललक थी. उनकी प्रेरणा स्रोत उनकी मां हैं. वह भी सिलाई का हीं कार्य करती है. उन्हीं को देखकर सिलाई करने का मन में ठान लिया और मां के मना करने के बावजूद तकिया को हीं सिला करती थी. शैक्षणिक कार्य से ज्यादा सिलाई करने में हीं मन लगता था. हालांकि चार बहनों में सबसे बड़ी संध्या जैसे-जैसे बड़ी हो रही थी तो परिवार की आर्थिक स्थिति की चिंता सताने लगी थी. पिता शहर में ऑटो चलाने का कार्य करते थे और उनके पास इतने पैसे नहीं थे की परिवार का गुजर-बसर हो जाए.
स्वरोजगार की दी रही है ट्रेनिंग
संध्या ने बताया कि परिवार को आर्थिक रूप से सशक्त करने की ठान ली और 2019 में पीएनबी ग्रामीण स्वरोजगार केंद्रके माध्यम से सिलाई का प्रशिक्षण लेकर घर पर हीं सिलाई करने का कार्य शुरू कर दिया. इससे न सिर्फ घर की आर्थिक हालत सुधरी बल्कि अपनी बहन की भी शादी की और अपने शादी का भी पूरा खर्च उठाया.
पीएनबी ग्रामीण स्वरोजगार केन्द्र से जुड़कर दे रही है प्रशिक्षण
संध्या ने बताया कि खुद सशक्त होने के बाद अब पीएनबी के माध्यम से किशनगंज, नवादा, नालंदा और लखीसराय के महिलाओं को सिलाई करने का प्रशिक्षण दे रही है. उन्होंने बताया कि लेडीज गारमेंट्स के कपड़ों को सिलती है. जिसमें क्रैप्टॉप, लहंगा, ब्लाउज, क्रॉसपट्टी ब्लाउज इत्यादि शामिल हैं. संध्या ने सफलता का श्रेय अपने पति को भी दिया.
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Tags: Bihar News, Local18
FIRST PUBLISHED : August 06, 2023, 23:20 IST
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