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मो. सरफराज आलम/सहरसा.आम अवधारणा है कि पढ़ाई-लिखाई करने के बाद लोगों को सरकारी या प्राइवेट नौकरी ही करनी चाहिए. तभी यह माना जाएगा कि पढ़ाई-लिखाई करने का कुछ रिटर्न मिला है. लेकिन अब यह मानसिकता पुरानी हो चुकी है. अब खेती-किसानी में पढ़े लखे लोग आ रहे हैं. इसका फायदा भी उन्हें खेती के तौर तरीकों को अपनाने में होता है. इससे कम जमीन में उन्नत पैदावार प्राप्त करने के साथ-साथ खेती की लागत भी कम आती है.आज हम आपको ऐसे ही एक पोस्ट ग्रैजुएट और मैनेजमेंट की डिग्री लिए हुए एक किसान से मिलवाते हैं, जो 10 एकड़ में सब्जी की खेती कर पुरानी अवधारणा को बदल दिया है.
पटना विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री लेने के बाद कहरा प्रखंड स्थित भरौली गांव निवासी संजय सिंह ने मैनेजमेंट का कोर्स किया. कुछ दिन एक अच्छे संस्थान में नौकरी भी की. लेकिन नौकरी छोड़ पुश्तैनी जमीन पर उन्होंने खेती शुरू की. सालाना लाखों की कमाई के साथ-साथ वे 25 लोगों को काम भी दे रखे हैं.
10 एकड़ में सब्जी की खेती
संजय सिंह ने बताया कि शुरुआती दौर में कुछ परेशानी हुई, लेकिन उन्होंने मनोबल नहीं टूटने दिया. इसका परिणाम है कि वे पहले दो एकड़ में खेती करते थे, अब 10 एकड़ में सब्जी की खेती कर रहे हैं. उनकी देखादेखी गांव के दूसरे किसान भी सब्जी की खेती करने लगे हैं.उन्होंने बताया कि उनकी सब्जी अन्य राज्यो में भी सप्लाई की जाती है. बाहर के व्यपारी यहां से सब्जी खरीदकर ले जाते हैं. खेती में उन्होंने कई लोगों को रोजगार भी दे रखा है.
मेहनत देख सरकार ने भी दिया लाभ
प्रखंड उद्यान पदाधिकारी विकास कुमार सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर सरकार 90 प्रतिशत अनुदान दे रही है. संजय सिंह की खेती से प्रभावित होकर इन्हें 5 एकड़ के लिए स्प्रिंकल का लाभ दिया गया. इससे उन्हें खेती की लागत में कमी आई.संजय सिंह मूलरूप से कद्दू, हरी मिर्च, झींगा, ओल समेत अन्य मौसमी सब्जी की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि बेरोजगार रहने से बढ़िया है कि आप सब्जी की खेती करें. इससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : August 07, 2023, 14:05 IST
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