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एक मीडिया रिपोर्ट में स्टाफिंग फर्म Xpheno के डेटा के हवाले से बताया गया है कि बड़ी IT कंपनियां मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में 50,000 से 1,00,000 एंप्लॉयीज को हायर कर सकती हैं। यह पिछले वर्ष इन कंपनियों की ओर से 2.5 लाख से अधिक एंप्लॉयीज से अधिक की हायरिंग की तुलना में आधे से भी कम होगा। इस फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में देश की टॉप सॉफ्टवेयर सर्विसेज कंपनियों – Tata Consultancy Services, Infosys, HCLTech, Wipro और Tech Mahindra के एंप्लॉयीज की संख्या में 21,838 की कमी थी। भारत में मौजूदगी रखने वाली Accenture, Capgemini और Cognizant जैसी ग्लोबल IT का स्टाफ भी घटा है।
कोरोना के दौरान IT कंपनियों का बिजनेस तेजी से बढ़ा था। हालांकि, पिछले एक वर्ष में ग्लोबल इकोनॉमी में कमजोरी, बहुत सी कंपनियों के वर्क फ्रॉम होम को समाप्त कर एंप्लॉयीज को ऑफिस बुलाने और रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण इस सेक्टर में स्लोडाउन बढ़ा है। हाल ही में JP Morgan की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि इन्फ्लेशन बढ़ने, सप्लाई चेन की मुश्किलों और रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से भारत की सॉफ्टवेयर कंपनियों की ग्रोथ पर लगाम लग सकती है। IT सेक्टर में कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स की हायरिंग भी घट रही है। इसमें अगली कुछ तिमाहियों में भी कमजोरी रह सकती है।
इस वर्ष की शुरुआत में ग्लोबल IT कंपनी Microsoft ने हजारों वर्कर्स की छंटनी करने का फैसला किया था। कंपनी की योजना अपनी वर्कफोर्स को लगभग 5 प्रतिशत कम करने की है। माइक्रोसॉफ्ट से लगभग 11,000 वर्कर्स को बाहर किया जा सकता है। इसमें इंजीनियरिंग और ह्युमन रिसोर्सेज डिविजंस पर अधिक असर होगा। कंपनी पर अपनी क्लाउड यूनिट Azure के ग्रोथ रेट को बरकरार रखने का प्रेशर है। पिछली कुछ तिमाहियों से मंदी के कारण पर्सनल कंप्यूटर्स के मार्केट को भी नुकसान हुआ है। इससे माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज और डिवाइसेज की बिक्री में भारी कमी आई है।
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