Thursday, May 29, 2025
HomeCaste-wise census को लेकर अब सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश पर टिकीं :...

Caste-wise census को लेकर अब सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश पर टिकीं : मायावती

देश प्रहरी की खबरें अब Google news पर

क्लिक करें

[ad_1]

प्रतिरूप फोटो

ANI

देश के कई राज्यों में जातीय जनगणना के बाद उत्तर प्रदेश में भी इसे कराने की मांग लगातार ज़ोर पकड़ रही है, लेकिन वर्तमान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार भी इसके लिए तैयार नहीं लगती है, यह अति-चिन्तनीय है।

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को कहा कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा बिहार में जातिवार जनगणना को ‘पूर्णत: वैध’ ठहराये जाने के बाद अब सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश पर टिकी हैं कि इस राज्य में यह प्रक्रिया कब शुरू होगी।
मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट कर इस मुद्दे पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, ‘‘ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समाज की आर्थिक, शैक्षणिक व सामाजिक स्थिति का सही आकलन कर उसके हिसाब से विकास योजना बनाने के लिए बिहार सरकार द्वारा कराई जा रही जातीय जनगणना को पटना उच्च न्यायालय द्वारा पूर्णत: वैध ठहराए जाने के बाद अब सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश पर टिकी हैं कि यहां यह जरूरी प्रक्रिया कब शुरू होगी?’’

उन्होंने इसी सिलसिले में किये गये एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘देश के कई राज्यों में जातीय जनगणना के बाद उत्तर प्रदेश में भी इसे कराने की मांग लगातार ज़ोर पकड़ रही है, लेकिन वर्तमान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार भी इसके लिए तैयार नहीं लगती है, यह अति-चिन्तनीय है। बसपा की मांग है कि केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि केन्द्र को राष्ट्रीय स्तर पर भी जातीय जनगणना करानी चाहिए।’’
बसपा अध्यक्ष ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘देश में जातीय जनगणना का मुद्दा मण्डल आयोग की सिफारिश को लागू करने की तरह राजनीति का नहीं बल्कि सामाजिक न्याय से जुड़ा महत्त्वपूर्ण मामला है।

समाज के गरीब, कमजोर, उपेक्षित एवं शोषित लोगों को देश के विकास में उचित भागीदार बनाकर उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए ऐसी गणना जरूरी है।’’
गौरतलब है कि पटना उच्च न्यायालय ने एक अगस्त को बिहार सरकार द्वारा कराए जा रहे जाति सर्वेक्षण को वैध और कानूनी ठहराया था। अदालत ने उन याचिकाओं को भी खारिज कर दिया जो पिछले साल जून में राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए जाति सर्वेक्षण के खिलाफ दायर की गई थीं।
हालांकि पटना उच्च न्यायालय के फैसले को अब उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



अन्य न्यूज़



[ad_2]

Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments