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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
– फोटो : Twitter
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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को देश के आदिवासियों से अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें और धार्मिक कट्टरपंथी आदिवासियों पर अत्याचार कर रहे हैं और उनके संसाधनों पर नियंत्रण करना चाहते हैं और बोले कि आदिवासी समुदाय असंगठित और विभाजित है और यही वजह है कि उनके मुद्दे, चाहे वह मणिपुर हो या झारखंड, को सुना नहीं जाता।
कई राज्यों में आदिवासी अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं
झारखंड आदिवासी महोत्सव को संबोधित करते सीएम सोरेन ने कहा कि आदिवासियों के बीच उन ताकतों से लड़ने को लेकर चर्चा होनी चाहिए जो उनके सभी संसाधानों, पहचान और संस्कृति पर कब्जा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों जैसे मणिपुर, झारखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान और तमिलनाडु में आदिवासी अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि विनाशकारी ताकतें उन पर अत्याचार करने के लिए तैयार हैं।
आदिवासी समाज को चिढ़ाया जा रहा है
सीएम सोरेन ने कहा कि आज देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासियों की अनेक भाषाएँ गायब हो चुकी हैं या गायब होने के कगार पर है। आज हमारे जीवन को आस्था के केंद्रों से बाँधने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ लोग तो हमसे हमारा नाम तक छीनने में लगे हुए हैं। हम आदिवासी-मूलवासी हैं। पर विचित्र बात है, जिस समाज की कोई जाति नहीं उसे कोई ‘जनजाति’ कह रहा है तो कोई ‘वनवासी’ कहकर एक ढंग से चिढ़ा रहा है।
विकास परियोजनाओं की वजह से विस्थापित हो रहे आदिवासी
भारतीय जनता पार्टी पर बिना नाम लिए हमला करते हुए सीएम सोरेन ने कहा कि जिनकी कोई जाति नहीं है उन्हें विनाशकारी ताकतें जनजाति और वनवासी के तौर पर प्रचारित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि उद्योगों, परियोजनाओं, बांध और खदानों की वजह से विस्थापित होने वालों में करीब 80 फीसदी आदिवासी हैं लेकिन क्रूर तंत्र ने उनके लिए ठिकाना खोजने की कोशिश नहीं की।
आदिवासी लोग छोटी-मोटी नौकरियों के लिए बड़े शहरों में जाने को मजबूर हैं
सीएम सोरेन ने आरोप लगाया कि बड़ी कोयला कंपनियों को आदिवासियों की लाखों एकड़ जमीन बिना पुनर्वास योजना के ही सौंपी जा रही है। उन्होंने कहा कि लगभग सभी हिस्सों में आदिवासी समाज को विस्थापन का दर्द सहना पड़ा है और उस दर्द को कम करने के लिए बहुत प्रयास नहीं किए गए हैं। यही कारण है लाखों आदिवासी अपनी भाषा, अपनी संस्कृति, अपनी जड़ों से कट गए हैं और छोटी-मोटी नौकरियों के लिए बड़े शहरों में जाने को मजबूर हैं।
13 करोड़ आदिवासी लोगों से की अपील
झारखंड आदिवासी महोत्सव में सीएम सोरेन ने कहा कि आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर मैं देश के 13 करोड़ से अधिक आदिवासी भाई-बहनों से अपील करता हूं कि एकजुट होकर लड़ें और आगे बढ़ें। गोंड, मुंडा, भील, कुकी, मीणा, संथाल, असुर, ओरांव, चेरो सभी को एकजुट होकर सोचना होगा।
मुख्यमंत्री, उनके पिता और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और पार्टी के अन्य नेताओं ने एक मिनट का मौन रखकर मणिपुर के आदिवासी समाज में हिंसा के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी। झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता सोरेन ने जोर देकर कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में आदिवासियों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है और वे अपने अस्तित्व के लिए लड़ने को मजबूर हैं।
विकास योजनाएं बनाते समय आदिवासी हितों को ध्यान में नहीं रखा
उन्होंने देश के विकास में आदिवासियों के योगदान को मान्यता नहीं दिए जाने पर अफसोस जताया और कहा इसे नये सिरे से देखा जाना चाहिए। साथ ही बोले कि नीति निर्माताओं ने विकास योजनाएं बनाते समय आदिवासी हितों को ध्यान में नहीं रखा। आदिवासी समाज की जमीन हड़प ली गई तो वह विकास को अपना कैसे मान सकता है, उसे अजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
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