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नकुल कुमार/पूर्वी चम्पारण. आपने अक्सर सुना होगा कि लोग जवानी में बीमा की पॉलिसी लेते हैं, बैंक बैलेंस बढ़ाते हैं, मकान बनवा कर किराए पर लगा देते हैं, ताकि बुढ़ापे में सहारे के लिए किसी का मुंह नहीं ताकना पड़े. बुढ़ापा आराम से मस्ती में कट सके. पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इससे इतर ऐसा काम कर लेते हैं जिससे उन्हें उन दिनों में आर्थिक रूप से कोई परेशानी नहीं होती है. कुछ ऐसा ही काम पूर्वी चंपारण जिले के किसान सर्वजीत कुमार साह ने किया है. इन्होंने पौधरोपण में इन्वेस्टमेंट किया है.
पौधरोपण में किया इन्वेस्टमेंट
किसान सह व्यवसायी सर्वजीत कुमार साह पूर्वी चंपारण जिले के पिपरा कोठी प्रखंड अंतर्गत सूर्यपुर पंचायत के झखरा गांव के रहने वाले हैं. इन्होंने 15 कट्ठा खेत के किनारे-किनारे बेशकीमती इमारती लकड़ी महोगनी का 120 पेड़ लगाया है. 4 वर्ष पूर्व महोगनी का पौधा लगाया था, जो अब 15 से 20 फीट के हो चुके हैं.
श्री साह कहते हैं कि हर व्यक्ति अपने बुढ़ापे को सुरक्षित करने के लिए बैंक, सोने-चांदी, प्रॉपर्टी आदि में पैसे को इन्वेस्ट करता है. लेकिन मैंने महोगनी के पौधे लगातार मिट्टी में अपने फ्यूचर को इन्वेस्ट किया है. इससे न सिर्फ पर्यावरण सुरक्षित रहेगा, बल्कि 15 से 20 वर्ष के बाद यह महोगनी का पेड़ हमारे लिए पेंशन का काम करेगा.
एक तैयार महोगनी पेड़ की कीमत लगभग सवा लाख
लाल और भूरे रंग की महोगनी की लकड़ी बाजार में काफी महंगी बिकती है. इसका ज्यादातर इस्तेमाल इमारती लकड़ी, फर्नीचर, बंदूक का बट, नाव आदि बनाने में किया जाता है. इसके अलावा दावा किया जाता है कि महोगनी के पत्ते का इस्तेमाल कैंसर, ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह सहित कई प्रकार के रोगों में होता है.
वहीं, महोगनी से 5 वर्ष में एक बार बीज निकलता है. इससे भी दवाइयां बनाई जाती है. इस लकड़ी की बहुआयामी उपयोगिता के कारण यह लकड़ी काफी महंगी बिकती है. यही कारण है कि 125 रुपए की मामूली कीमत में बिकने वाला एक महोगनी का पौधा 20 से 25 वर्ष में लगभग सवा लाख तक का हो जाता है.
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Tags: Bihar News, Champaran news, Local18
FIRST PUBLISHED : August 10, 2023, 18:22 IST
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