Monday, May 12, 2025
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आदिवासी डॉ. धुनी सोरेन बस गए इंग्लैंड में, पर दिल भटक रहा झारखंड की गलियों में

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आदित्य आनंद/गोड्डा. हर आदिवासी जल, जमीन और जंगल से जुड़ा होता है. वह कहीं भी रहे उसे अपनी मिट्टी याद रहती है. गोड्डा के धुनी सोरेन भी ऐसे ही शख्स हैं, जिन्हें इंग्लैंड में रहते हुए अपनी मिट्टी याद आती रही. इंग्लैज में जा बसे गोड्डा के सबसे सुदूर प्रखंड बोआरीजोर के डॉक्टर धुनी सोरेन ने इंग्लैंड की नागरिकता प्राप्त कर ली है और वहीं अपना घर भी बनाया. खास बात यह है कि उन्होंने अपने घर का नाम बोआरीजोर रखा. यानी, वे इंग्लैंड में रहते हुए भी अपने बोआरीजोर को भूल नहीं सके, इसलिए उन्होंने ऐसी कोशिश की कि इंग्लैंड में रहते हुए भी वे महसूस करें की गोड्डा में हैं.

धूनी सोरेन गोड्डा जिले के बोआरीजोर प्रखंड मुख्यालय के रहने वाले हैं. पुराने दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि बचपन में वह पथरगामा पैदल आकर पढ़ाई किया करते थे और दूर-दूर तक बोआरीजोर में मिडिल स्कूल तक नहीं था. इसके बाद उन्होंने 7 मिल पैदल जा कर ठाकुरगंगती प्रखंड में भी अपनी शिक्षा प्राप्त की. पटना साइंस कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद1965 में डॉक्टर धुनि राम एफआरसीएस करने इंग्लैंड गए.वहां सफलता मिलने के बाद बस गए और इंग्लैंड में ही डॉक्टरी करने लगे.

उन्होंने बताया कि पढ़ाई के दौरान ही वे दुमका के तत्कालीन डीसी डब्ल्यू डी आरचर से इंग्लैंड में उनके घर पर मिले और उन्हें भारत का भोजन दाल-चावल-सब्जी खिलाई. फिलहाल डॉ धूनी राम इंग्लैंड में लिवरपूल में डॉक्टरी कर रहे हैं और हर वर्ष सोहराय पर्व के मौके पर अपने गांव आते हैं.

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FIRST PUBLISHED : August 11, 2023, 09:26 IST

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