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दिल्ली में स्कूलों के भीतर मोबाइल बैन करने का साथ ही एडवाजरी में कहा गया है कि इमरजेंसी के लिए स्कूलों के अंदर मोबाइल फोन साथ रखने की बजाए एक हेल्पलाइन बनाई जाए, जिससे कि इमरजेंसी की स्थिति में छात्र जरूरी कॉल कर सकें। यही बात छात्रों के माता-पिता पर भी लागू होती है। आपात स्थिति में माता-पिता छात्र के पास कॉल कर सकेंगे। CNBC के अनुसार, यह एडवाइजरी सरकारी और गैर-सरकारी स्कूल, दोनों पर ही लागू होती है।
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एडवाइजरी में माता-पिता के लिए भी एक अनुरोध जारी किया गया है कि वे अपने बच्चे को स्कूल में मोबाइल फोन देकर न भेजें। यदि फिर भी बच्चा स्कूल में मोबाइल फोन लेकर आता है तो फोन की सुरक्षित कस्टडी की जिम्मेदारी स्कूल की ही होगी। एडवाइजरी में मोबाइल फोन जैसे गैजेट्स पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता की बात को उठाया गया है। जिसमें कहा गया है कि ऐसे गैजेट्स का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल स्कूल के परिणामों पर बुरा प्रभाव डालता है।
इसके अलावा मोबाइल यूज के बारे में एडवाइजरी में जिक्र किया गया है कि स्मार्टफोन जैसे डिवाइसेज का अधिक इस्तेमाल करने से यूजर के अंदर डिप्रेशन, नींद की समस्या, आखों की देखने की क्षमता को नुकसान जैसे दुष्परिणाम सामने आते हैं। यह विद्यार्धी की एकेडमिक परफॉर्मेंस पर भी बुरा प्रभाव डाल सकता है। इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करना बदमाशी प्रवृत्ति, शोषण और गलत कंटेंट शेयर करने जैसी घटनाओं का कारण बन सकता है। शिक्षा निदेशालय ने छात्रों, अभिभावकों, और शिक्षकों से इस मामले में आम सहमति बनाने के लिए सहयोग करने की अपील की है।
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