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भारत-चीन कोर कमांडर-स्तरीय बैठक के 19वें दौर के बाद जारी बयान में पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले शेष बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी में किसी तत्काल सफलता का संकेत नहीं मिला। वैसे यह पहली बार था कि लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद पर उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता दो दिन तक चली।
भारत और चीन के संबंधों में गतिरोध बरकरार है क्योंकि दो दिन तक दोनों देशों के बीच चली सैन्य वार्ता में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि चीन इस बात के लिए तैयार नहीं हुआ कि पहले की तरह भारत को सभी पेट्रोलिंग प्वाइंट्स तक पहुँच दी जाये। हालांकि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध के शेष मुद्दों को शीघ्रता से हल करने पर सहमत हो गये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जल्द ही ब्रिक्स की बैठक में भाग लेने जाना है जहां उनकी चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात होगी। इसके अलावा सितम्बर में दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में भी शी जिनपिंग का आना प्रस्तावित है। इसलिए इस सैन्य वार्ता पर सभी की नजरें लगी हुई थीं लेकिन कुछ ठोस नहीं निकला।
हम आपको बता दें कि दोनों पक्षों द्वारा दो दिवसीय सैन्य वार्ता समाप्त होने के एक दिन बाद एक संयुक्त बयान में यह जानकारी दी गई। बयान में कहा गया, “दोनों पक्षों ने पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर शेष मुद्दों के समाधान पर सकारात्मक, रचनात्मक और गहन चर्चा की।” नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया, “नेतृत्व द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के अनुरूप, उन्होंने खुले और दूरदर्शी तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया।” बयान में कहा गया, “दोनों पक्षों के बीच पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर शेष मुद्दों के समाधान पर सकारात्मक, रचनात्मक और गहन चर्चा हुई। नेतृत्व द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के अनुरूप, उन्होंने खुले और दूरदर्शी तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया।” बयान में कहा गया, “वे शेष मुद्दों को शीघ्रता से हल करने तथा सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से संवाद और बातचीत की गति बनाए रखने पर सहमत हुए।” दिल्ली और बीजिंग में एक साथ जारी बयान में कहा गया है, ‘‘अंतरिम तौर पर, दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों मेंशांति बनाए रखने पर सहमत हुए हैं।’’
घटना की जानकारी रखने वालों ने बताया कि इससे संबंधित घटनाक्रम के तहत भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने भारत के स्वतंत्रता दिवस पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अनेक सीमा बैठक बिंदुओं पर मिठाइयों का आदान-प्रदान भी किया। हम आपको बता दें कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे अवसर पर दोनों देशों की सेनाओं की ओर से मिठाइयों के आदान-प्रदान की परंपरा सालों से चली आ रही है। यह पता चला है कि भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए पुरजोर दबाव डाला।
हालांकि भारत-चीन कोर कमांडर-स्तरीय बैठक के 19वें दौर के बाद जारी बयान में पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले शेष बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी में किसी तत्काल सफलता का संकेत नहीं मिला। वैसे यह पहली बार था कि लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद पर उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता दो दिन तक चली। मामले के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि दो दिनों के दौरान कुल करीब 17 घंटे चर्चा हुई। यह वार्ता 13-14 अगस्त को भारतीय सीमा पर चुशुल-मोल्डो सीमा बैठक बिंदु पर आयोजित की गयी थी। वार्ता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जोहानिसबर्ग की यात्रा से एक सप्ताह पहले हुई है। यात्रा के दौरान वहां उनका चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से आमना-सामना होगा।
हम आपको याद दिला दें कि अप्रैल में 18वें दौर की सैन्य वार्ता के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था कि “दोनों पक्ष निकट संपर्क में रहने और सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत बनाए रखने और शेष मुद्दों का जल्द से जल्द पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमत हुए।” भारत सरकार पूर्वी लद्दाख को पश्चिमी सेक्टर के तौर पर संदर्भित करती है। भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के कुछ बिंदुओं पर तीन साल से अधिक समय से टकराव की स्थिति में हैं, हालांकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है।
हम आपको यह भी बता दें कि वार्ता में भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह-मुख्यालय वाली 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रशिम बाली ने किया, जबकि चीनी दल का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर ने किया। 18वें दौर की सैन्य वार्ता 23 अप्रैल को हुई थी जिसमें भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने की वकालत की थी।
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