झारखंड के आठ जिलों में धान की खेती के लिए रखी गई 80 प्रतिशत से अधिक कृषि योग्य भूमि कम बारिश के कारण खाली पड़ी हुई है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, धान की रोपाई के लिए सही समय एक जुलाई से 31 जुलाई तक होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में मानसून के शुरुआती महीनों में देरी से या कम बारिश होने के कारण आजकल कई किसान अगस्त के मध्य तक फसल बोते हैं, लेकिन इससे अच्छी फसल नहीं होती है।
राज्य कृषि विभाग के कवरेज आंकड़ों के अनुसार, 18 अगस्त तक झारखंड में धान की कुल रोपाई 43.66 प्रतिशत दर्ज की गई। 18 अगस्त तक 18 लाख हेक्टेयर लक्ष्य के मुकाबले केवल 7.85 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की रोपाई की गई। धान की रोपाई के मामले में राज्य के कुल 24 जिलों में से आठ जिलों में स्थिति गंभीर है। पलामू जिले में 18 अगस्त तक राज्य में सबसे कम धान रोपाई 2.96 फीसदी दर्ज किया गया है। इसके बाद जामताड़ा में 5.63 फीसदी, दुमका में 7.66 फीसदी, गढ़वा में 8.43 फीसदी, धनबाद में 10.26 फीसदी, गिरिडीह में 11.4 फीसदी, कोडरमा में 12.61 फीसदी और चतरा में 16.35 फीसदी हैं।
राज्य कृषि विभाग के उप निदेशक मुकेश सिन्हा ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, जून और जुलाई में कम बारिश के कारण कुल रोपाई क्षेत्र प्रभावित रहीं। चूंकि बारिश अभी भी जारी है, इसलिए किसान रोपाई कर रहे हैं। हालांकि, पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष धान की रोपाई की स्थिति आंशिक रूप से बेहतर है। राज्य में 2022 में 18 अगस्त तक 30.83 प्रतिशत रोपाई दर्ज किया गया था।
झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार ने 29 अक्टूबर, 2022 को राज्य के 260 ब्लॉकों में से 226 को सूखा प्रभावित घोषित किया था और मुख्यमंत्री सूखा राहत योजना के तहत प्रत्येक प्रभावित किसान परिवार को 3,500 रुपये की नकद राहत प्रदान करने का फैसला लिया था। सिन्हा ने कहा कि कुछ जिलों में धान की रोपाई की स्थिति कम बनी हुई है। उन्होंने कहा, हम ऐसे जिलों में रोपाई और अन्य कारकों का आकलन कर रहे हैं। एक और सप्ताह तक रोपाई की स्थिति देखी जाएगी। उसके बाद सभी मापदंडों का मूल्यांकन करने के बाद सरकारी स्तर पर सूखा घोषित करने के संबंध में कोई भी निर्णय लिया जाएगा।
इस वर्ष, धान, दलहन, मक्का, तिलहन और अनाज सहित खरीफ फसलें 18 अगस्त तक 28.27 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले 13.43 लाख हेक्टेयर भूमि में लगाई गईं यानी केवल 47.53 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि का उपयोग किया गया। 2022 में 18 अगस्त तक कुल मिलाकर खरीफ बुआई 37.78 प्रतिशत थी। झारखंड सरकार ने पिछले साल राज्य के 226 सूखा प्रभावित ब्लॉकों के लिए केंद्र से 9,682 करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज की मांग की थी। एक अधिकारी ने कहा, केंद्र ने सूखा पैकेज के रूप में 502 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
पलामू के किसान सुरेश सिंह ने कहा, मेरे पास दो एकड़ जमीन है लेकिन कम बारिश के कारण इस साल मैं धान नहीं उगा सका। मैंने जमीन के कुछ हिस्से पर मक्का उगाया था लेकिन कीड़ों के हमले के कारण उपज अच्छी नहीं हुई। अब हमें सिर्फ सरकार से ही उम्मीद है। उन्होंने कहा कि जिले के अधिकांश किसान ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहे हैं।
मौसम विभाग के मुताबिक, झारखंड में बारिश की कमी अब भी 36 फीसदी है। राज्य में एक जून से 18 अगस्त तक सामान्य बारिश 689.8 मिमी के मुकाबले 422.7 मिमी हुई। राज्य में 31 जुलाई तक 47 फीसदी बारिश की कमी का सामना करना पड़ा। रांची मौसम विज्ञान केंद्र के प्रभारी अभिषेक आनंद ने कहा, झारखंड में पिछले कुछ दिनों में शुक्रवार तक अच्छी बारिश हुई। रविवार तक बारिश की तीव्रता में गिरावट आ सकती है। 21 अगस्त से इसमें फिर से बढ़ोतरी होगी।