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कांग्रेस कार्यसमिति के ऐलान के बाद वह नेता अब पार्टी पर निशाना साध रहे हैं जोकि इसमें स्थान पाने से वंचित रह गये। इनमें एक प्रमुख नाम आचार्य प्रमोद कृष्णम का है। कृष्णम का कहना है कि उन्हें इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि पार्टी को मेरी भगवा वेशभूषा और तिलक से आपत्ति है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के लगभग दस महीने बाद आखिरकार पार्टी कार्यसमिति का गठन कर दिया। लेकिन इस कार्यसमिति में शामिल किये गये नामों को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं साथ ही जिन लोगों को कार्यसमिति में जगह नहीं दी गयी है उन्होंने पार्टी पर निशाना साधना भी शुरू कर दिया है। कांग्रेस कार्यसमिति में शामिल नामों पर नजर दौड़ाएं तो गांधी परिवार के तीनों सदस्यों- सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को इसमें शामिल कर परिवारवाद की नीति पर आगे बढ़ते रहने और पार्टी में गांधी परिवार का ही प्रभुत्व कायम रहने के संकेत दिये गये हैं। इसके अलावा कांग्रेस के असंतुष्ट गुट जी-23 में शामिल कई नेताओं तथा राजस्थान के असंतुष्ट नेता सचिन पायलट को भी कार्यसमिति में जगह देकर कांग्रेस ने असंतोष के स्वरों को दबाने का प्रयास किया है। इसके अलावा जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्य कन्हैया कुमार, जिन पर देशद्रोह का आरोप लगा वह भी कार्यसमिति में शामिल कर लिये गये हैं। कांग्रेस की जिस नई कार्यसमिति पर पार्टी में नई जान फूंकने का जिम्मा सौंपा गया है उनमें डॉ. मनमोहन सिंह 91 साल के, एके एंटनी 84 साल के, खुद मल्लिकार्जुन खरगे 82 साल के, अंबिका सोनी 79 साल कीं, मीरा कुमार 78 साल कीं, पी. चिदम्बरम 77 साल के, दिग्विजय सिंह 76 साल के, कमलनाथ 75 साल के, सोनिया गांधी 75 साल कीं, हरीश रावत 74 साल के हैं। इसके अलावा 53 साल के राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। हम आपको याद दिला दें कि कांग्रेस ने उदयपुर के अपने ‘चिंतन शिविर’ और रायपुर के महाधिवेशन में भले ही संगठन के सभी स्तरों पर 50 प्रतिशत स्थान 50 साल से कम उम्र के नेताओं को देने के फार्मूले की बात कही थी, लेकिन इस कार्य समिति में जिन 39 सदस्यों को शामिल किया गया, उनमें सिर्फ तीन नेता ही 50 वर्ष से कम उम्र के हैं।
दूसरी ओर, कांग्रेस कार्यसमिति के ऐलान के बाद वह नेता अब पार्टी पर निशाना साध रहे हैं जोकि इसमें स्थान पाने से वंचित रह गये। इनमें एक प्रमुख नाम आचार्य प्रमोद कृष्णम का है। कृष्णम का कहना है कि उन्हें इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि पार्टी को मेरी भगवा वेशभूषा और तिलक से आपत्ति है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस पर कुछ ऐसे लोगों का कब्जा हो गया है जो हिंदू, हिंदुत्व और भगवा से परेशान हो जाते हैं और उन्हें भारत माता की जय का नारा लगाने वाले लोग पसंद नहीं हैं। उन्होंने कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष कन्हैया कुमार का नाम लिये बिना उन पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग भारत तेरे टुकड़े होंगे का नारा लगाते हैं उन्हें कांग्रेस में अहम ओहदा मिल गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग कांग्रेस को महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी की विचारधारा से दूर ले जा रहे हैं। कृष्णम ने कहा कि इंदिरा गांधी, महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेस को आगे बढ़ाया तथा देश के लिए बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि अब तक कांग्रेस पार्टी महात्मा गांधी की रामधुन रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीताराम से जानी जाती थी लेकिन अब भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाने वाले लोग आगे आ गये हैं। उन्होंने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे भी ऐसे लोगों से खुश नहीं हैं।
यदि कृष्णम का आरोप सही है तो सवाल उठता है कि कार्यसमिति का गठन करने में मल्लिकार्जुन खरगे की नहीं चली तो फिर किसकी चली है? वैसे हम आपको बता दें कि खरगे कुछ समय पहले कह चुके हैं कि वह मनोनीत अध्यक्ष हैं। हम आपको यह भी याद दिला दें कि शुरू में कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों का निर्वाचन कराया जायेगा लेकिन कांग्रेस ने सोनिया गांधी के समय से चली आ रही मनोनयन की परम्परा को जारी रखा और किसी भी तरह के चुनाव से बचा गया।
जहां तक कार्यसमिति में शामिल अन्य नेताओं के नामों की बात है तो आपको बता दें कि सचिन पायलट, शशि थरूर और कई अन्य नेताओं को पार्टी की इस सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई में पहली बार स्थान मिला है। पार्टी शासित किसी राज्य के मुख्यमंत्री को इसमें स्थान नहीं दिया गया है। कांग्रेस कार्य समिति में 39 सदस्य, 32 स्थायी आमंत्रित सदस्य और 13 विशेष आमंत्रित सदस्य (चार पदेन सदस्यों समेत) शामिल किए गए हैं। कांग्रेस के चारों अग्रिम संगठनों- युवा कांग्रेस, एनएसयूआई, महिला कांग्रेस और सेवा दल के प्रमुख कार्यसमिति में पदेन सदस्य होते हैं। हम आपको यह भी याद दिला दें कि कांग्रेस ने इस साल फरवरी में रायपुर के महाधिवेशन में अपने संविधान में संशोधन किया था जिसके अनुसार, कार्यसमिति के सदस्यों की संख्या 23 से बढ़ाकर 35 कर दी गई थी। कांग्रेस के संविधान में यह प्रावधान भी है कि पार्टी अध्यक्ष, पूर्व अध्यक्ष और पार्टी से संबंधित मौजूदा या पूर्व प्रधानमंत्री कार्यसमिति के स्वत: सदस्य होते हैं। कार्यसमिति में इस बार कांग्रेस शासित किसी राज्य के मुख्यमंत्री को शामिल नहीं किया गया है। पहले सामान्यत: कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में से वरिष्ठ नेताओं को कार्य समिति में स्थान दिया जाता रहा है। मौजूदा समय में कांग्रेस की चार राज्यों कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में सरकारें हैं।
इसके अलावा, कार्यसमिति में कुल 15 महिलाओं को स्थान मिला है। सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, कुमारी सैलजा, अंबिका सोनी, मीरा कुमार और दीपा दासमुंशी को बतौर सदस्य इस नयी कार्यसमिति में शामिल किया गया है। प्रतिभा सिंह, मीनाक्षी नटराजन, फूलो देवी नेताम और रजनी पाटिल स्थायी आमंत्रित सदस्य होंगी। यशोमती ठाकुर, सुप्रिया श्रीनेत, परिनीति शिंदे, अलका लांबा और नेटा डिसूजा कार्य समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाई गई हैं।
पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, वरिष्ठ नेता मीरा कुमार और कुमारी सैलजा कांग्रेस की कार्य समिति में प्रमुख दलित चेहरे हैं। कांग्रेस कार्य समिति के 39 सदस्यों में मुस्लिम समुदाय से तारिक अनवर, सलमान खुर्शीद, गुलाम अहमद मीर और सैयद नासिर हुसैन शामिल हैं। कार्य समिति में शामिल आनंद शर्मा, मनीष तिवारी और थरूर कभी उस ‘जी 23’ समूह का हिस्सा थे, जिसने लगभग तीन साल पहले सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे।
इस कार्यसमिति के पुनर्गठन में चुनावी राज्यों का भी खयाल रखा गया है। राजस्थान से संबंधित सात नेताओं सचिन पायलट, अभिषेक मनु सिंघवी, महेंद्रजीत मालवीय, जितेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, पवन खेड़ा और मोहन प्रकाश को कार्य समिति का हिस्सा बनाया गया है। मध्य प्रदेश से दिग्विजय सिंह, कमलेश्वर पटेल और मीनाक्षी नटराजन तथा छत्तीसगढ़ से ताम्रध्वज साहू और फूलो देवी नेताम को कार्य समिति में स्थान दिया गया है।
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