पाकुड़ । झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन रांची के महासचिव रामरंजन कुमार सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि इस्लामपुर उत्क्रमित मध्य विद्यालय के शिक्षक विनय कुमार को इंसाफ नहीं मिलता है, तो एसोसिएशन आंदोलन के लिए सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होगा। जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की होगी।
उन्होंने कहा कि शिक्षक को राष्ट्र का निर्माता माना जाता है। उक्त उक्ति को समस्त शिक्षकगण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ धरातल पर उतारने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, शिक्षक एक मार्गदर्शक, गुरु, मित्र होने के साथ-साथ सरकार के समस्त कार्यों का निर्वहन करते हैं। शिक्षक का मुख्य लक्ष्य छात्रों का सर्वांगीण विकास करते हुए परिवार, समाज एवं देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनाना होता है। नैतिक ज्ञान, चरित्र निर्माण, पुस्तकों का ज्ञान एवं अनुशासन के साथ जीवन जीने के समस्त ज्ञान से बच्चों को सँवारते, निखरते हैं। बच्चों के साथ उनका रिश्ता समस्त रिश्तों में सर्वोपरि होता है।
प्रेस विज्ञप्ति में वे आगे कहते है कि हमारा देश कभी विश्व गुरु काहलाता था, लेकिन हम विकास के वर्तमान समय में सरकार की गलत नीतियों के कारण सरकार के आदेश का सिर्फ कागजी खानापूर्ति, शिक्षा छोड़कर अन्य कार्यों में शिक्षक की भूमिका और समय का सदुपयोग कराते हैं। जो अनुचित है, शिक्षा नग्नय रह जाता है। अभिभावक ध्यान नहीं दे पाते हैं, वे पढ़े-लिखे नहीं है, न सरकार शिक्षण कार्य हेतु अभिभावकों को जागरुक कर पाते है। शिक्षण कार्य पूर्व में भी चला करता था और एक से एक विद्वान हर क्षेत्रों में देश सेवा करते हुए गये और आज भी अपने यथोचित कार्यों का निर्वहन कर रहें हैं। आज के बच्चे विकृति का अत्यधिक शिकार कोरोना काल में हुए। मोबाईल, टी.वी. से बच्चे घर के परिवेश में बनते-बिगड़ते हैं। हमारे प्रिय शिक्षक विनय कुमार जी के साथ दुर्भाग्यपूर्ण और निन्दनीय घटना घटित हुई। जिससे समस्त शिक्षक समाज आहत हुए हैं। शिक्षक के साथ इस तरह हुए घटनाओं का ससमय रोक नहीं लगाया गया तो समाज और देश की दुर्गति सुनिश्चित है।
रामरंजन कुमार सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि शिक्षा विभाग एवं जिला प्रशासन इस पर विशेष रूप के साथ संज्ञान लें, अन्यथा कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा, कभी भी शिक्षक, पदाधिकारी एवं अन्य समाज बुद्धजीवियों के साथ अभद्र व्यवहार होता रहेगा। शिक्षक तो निरीह प्राणी है, जो अपने दायित्वों का निर्वहन करने, अलग-अलग जिला से आते हैं। यदि शिक्षक के प्रति अभद्र व्यवहार, मार-पीट पर आज लगाम नहीं लगा तो शिक्षा का स्तर और अधिक गिरेगा, कोई सुरक्षित नहीं रहेगा। शिक्षकों की सुरक्षा और सम्मान हर हाल में कायम रखने हेतु पाकुड़ जिला के समस्त बुद्धिजीवियों को एक मंच पर आना होगा, ताकि समाज में ऐसी अनेकानेक घटना घटित नहीं हो। बुद्धिजीवियों के लिए यह अति आवश्यक है।