कुंडली में चंद्रमा: वैदिक ज्योतिष में सभी ग्रहों का विशेष महत्व है, उसी प्रकार चंद्रमा का भी ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान है। चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है उसे जीवन में सुख, समृद्धि, संतान सुख आदि के साथ-साथ स्वस्थ सकारात्मक भावनाएं भी प्राप्त होती हैं।
देर से शादी
जब कुंडली में शनि बलवान हो और उसकी दृष्टि चंद्रमा पर हो या चंद्रमा शनि के साथ बैठा हो तो व्यक्ति के विवाह में देरी होती है। वहीं माना जाता है कि कुंडली में ऐसी स्थिति बन जाती है कि व्यक्ति अधिक संदेह करने लगता है। जिसके कारण वैवाहिक जीवन में परेशानियां आने लगती हैं।
स्वभाव उग्र हो जाता है
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा बारहवें भाव में वृष या तुला राशि में बैठा हो तो व्यक्ति का स्वभाव उग्र हो जाता है। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि इस स्थिति में व्यक्ति में कामेच्छा बहुत अधिक होती है। ऐसे में भी वैवाहिक जीवन में परेशानियां बनी रहती हैं। वहीं अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के छठे घर में चंद्रमा राहु के साथ बैठा हो तो उसका संबंध किसी धनवान व्यक्ति से होता है।
वैवाहिक तनाव
जब चंद्रमा सातवें घर में मेष या वृश्चिक राशि में स्थित हो तो व्यक्ति अपने जीवन साथी के साथ ठीक से तालमेल नहीं बिठा पाता है। जिसके कारण वैवाहिक जीवन में तनाव बना रहता है। वृश्चिक राशि में चंद्रमा नीच का होने से व्यक्ति शक्की स्वभाव का होता है।
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