Monday, November 25, 2024
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डिस्ट्रिक्ट लेवल वर्कशॉप ऑन एमएसीटी पर कार्यशाला का किया गया आयोजन

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पाकुड़। नालसा नई दिल्ली एवं झालसा रांची के निर्देशानुसार आज रविवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के तत्वाधान में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ की अध्यक्षता में डिस्ट्रिक्ट लेवल वर्कशॉप ऑन एमएसीटी कार्यशाला आयोजित किया गया।

उक्त कार्यक्रम में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के बाल कृष्ण तिवारी, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय राधा कृष्ण,अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम राकेश कुमार, अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय चौधरी एहसान मोईज, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सह प्रभारी जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ अजय कुमार गुड़िया, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कमल प्रकाश, डीएसपी बैधनाथ प्रसाद, सिविल सर्जन डॉ मंटू कुमार टेकरीवाल, एसडीपीओ अजीत कुमार विमल समेत सभी थाना प्रभारी, इंश्योरेंस कम्पनी के अधिवक्तागण, पैनल अधिवक्ता, एलएडीसीएस के अधिवक्ता मौजूद रहे।

कार्यक्रम की शुरुवात प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश बाल कृष्ण तिवारी, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय राधा कृष्ण, अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम राकेश कुमार, अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय चौधरी एहसान मोईज डीएसपी बैधनाथ प्रसाद ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

कार्यक्रम में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश बाल कृष्ण तिवारी ने एमएसीटी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब भी कोई दुघर्टना घटित होती है तो पीड़ित परिवार की स्थिति काफी दयनीय हो जाती। ऐसे में पुलिस इन्वेस्टिगेशन निर्धारित समय सीमा के अंदर सारे दस्तावेज संबंधित न्यायालय को सौंप दें। ताकि आगे की न्यायिक प्रक्रिया शुरू कर पीड़ित परिवार को न्याय दिला सके। इस क्रम न्यायालय द्वारा इंश्योरेंस को क्लेम के लिए भेजती है। इंश्योरेंस और पीड़ित के बीच अमाउंट ऑफर मंजूर होने पर एक से दो माह के अंदर मामला का निपटारा हो जाता है। इंश्योरेंस द्वारा राशि कम लगने पर पीड़ित आगे मुकदमा हेतु केस कोर्ट में दायर कर सकते है। एमएसीटी मामले में पुलिस ऑफिसर मेडिकल टीम की भूमिका अहम होती है।

सभी न्यायिक दंडाधिकारी ने संबोधित करते हुए कई महत्त्वपूर्ण जानकारी दी। पीड़ित को न्याय दिलाने और सभी गठित टीम के भूमिका के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। सभी उपस्थित अधिकारी को जिम्मेवारी से और संवेदनशील होकर जांच प्रतिवेदन एवम् न्यायिक प्रक्रिया के बारे में कई दिशा निर्देश दी गई।

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