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धनबादएक घंटा पहले
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रंगदारी वसूलने वाले नेटवर्क के तार धनबाद जेल से भी जुड़े
धनबाद के व्यवसायियाें, काेयला काराेबारियाें, बिल्डरों, दुकानदारों, हाेटल संचालकाें व चिकित्सकाें काे भय दिखाकर रंगदारी वसूलने वाले नेटवर्क के तार धनबाद जेल से भी जुड़े हैं। वासेपुर के गुंडे प्रिंस खान के लिए रंगदारी वसूलने और रुपयाें का ट्रांजेक्शन करने वाले जिन दस मददगाराें को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, उनसे पूछताछ में यह खुलासा हुआ है।
प्रिंस का खास सद्दाब अंसारी उर्फ सद्दाम ने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया कि रंगदारी का नेटवर्क भगोड़े प्रिंस खान के साथ धनबाद जेल में बंद उसका भाई गाेपी व गाेडविन के साथ फैजाबाद का क्रिमिनल शैफी खान के द्वारा संचालित हाे रहा था।
ये चारों ही व्हाट्सएप काॅल के जरिए बताते हैं कि किन-किन से रंगदारी लेनी है, किन-किन सहयाेगियाें काे पैसा देना है और किन खातों में पैसे ट्रांसफर करने हैं। गैंग में शामिल गुर्गाें काे रंगदारी के पैसों से ही बैंक अकाउंट व यूपीआई के जरिए पेमेंट भी किया जाता था। सद्दाब ने बताया कि उसे प्रिंस व जेल से प्रतिदिन नियत समय पर दिशा-निर्देश मिलता था। निर्देश मिलने के बाद वे लाेग कारोबारियों में भय और दहशत फैला कर रंगदारी मांगने और पैसा वसूलने का काम करते थे।
सबसे ज्यादा भारतीय स्टेट बैंक के एकाउंट्स में किया गया ट्रांजेक्शन गिरफ्तार अपराधियाें से पूछताछ में पता चला कि रंगदारी का पैसा बैंक अकाउंटाें और यूपीआई के माध्यम से ट्रांजेक्शन किया गया है। इनमें 8 मोबाइल नंबराें से यूपीआई के साथ बैंक ऑफ बड़ौदा के 2, एसबीआई के 7, बैंक ऑफ इंडिया के 3 और केनरा बैंक का एक अकाउंट का इस्तेमाल पैसों का ट्रांसफर करने में किया गया है।
गुर्गों को नया बाजार में रहनेवाला उस्ताद देता है हथियार| प्रिंस के गुर्गाें काे फायरिंग और किसी पर गाेली मारने के लिए हथियार भी उपलब्ध कराया जाता है। इसमें एक अाैर नाम सामने आया है। नया बाजार का रहने वाला गुलाम याजदानी उर्फ उस्ताद भी प्रिंस के गुर्गों को गाेली और हथियार उपलब्ध कराने का काम करता था।
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