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रांची, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। झारखंड में अतिसक्रिय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने खनन और जमीन घोटाले के बाद अब शराब और बालू घोटाले में कार्रवाई शुरू कर दी है, जिससे राज्य के राजनेता और नौकरशाह चिंतित हैं.
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अलग-अलग मामलों में जांच का दायरा बढ़ने से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों और राज्य के करीब आधा दर्जन आईएएस और राज्य सेवा के अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. ईडी ने सत्ता के दलालों और कई कारोबारियों पर भी शिकंजा कस दिया है.
ईडी की जांच और कार्रवाई में राज्य की दो आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल और छवि रंजन, ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम, आठ-नौ व्यवसायी विष्णु अग्रवाल, अमित अग्रवाल, दिलीप घोष, योगेन्द्र तिवारी समेत 20 से अधिक लोग शामिल हैं. सुनील यादव, टिंकल भगत। भगवान भगत, कृष्णा शाह, दो चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन कुमार और नीरज मित्तल और दो पावर ब्रोकर पंकज मिश्रा और प्रेम प्रकाश और योगेन्द्र तिवारी को जेल भेज दिया गया है.
पिछले गुरुवार को ईडी ने शराब घोटाले के किंगपिन माने जाने वाले राज्य के कारोबारी योगेन्द्र तिवारी को गिरफ्तार किया था. इससे पहले तीन अलग-अलग तारीखों पर उनसे लंबी पूछताछ की गई थी.
अब एजेंसी ने उन्हें आठ दिन की रिमांड पर लिया है और शनिवार से विस्तृत पूछताछ शुरू कर दी है. गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेश करते हुए एजेंसी ने दावा किया कि योगेन्द्र तिवारी शराब के साथ-साथ जमीन और बालू के अवैध कारोबार में भी शामिल थे और उन्हें कई अधिकारियों और नेताओं का संरक्षण प्राप्त था.
31 मार्च को ईडी ने देवघर जिले के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में पहले से दर्ज चार एफआईआर के आधार पर योगेन्द्र तिवारी के खिलाफ ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) दर्ज की थी। इसके बाद 23 अगस्त को राज्य में 34 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई और कई दस्तावेज और सबूत बरामद किए गए.
इनमें से एक स्थान राज्य के वित्त मंत्री डॉ.रामेश्वर उरांव और उनके बेटे रोहित उरांव का आवास था। ईडी ने यहां से 30 लाख रुपये कैश भी बरामद किया था. इस छापेमारी के बाद जांच का दायरा और बढ़ गया. ईडी ने अब उसी ईसीआईआर में 15 और एफआईआर जोड़ दी हैं।
इन एफआईआर में नामित 20 से ज्यादा लोग सीधे तौर पर ईडी की जांच के दायरे में आ गए हैं. उम्मीद है कि आरोपियों से पूछताछ में और भी नाम सामने आएंगे।
आरोप है कि योगेन्द्र तिवारी ने वर्ष 2021-22 में राज्य में शराब कारोबार में एकाधिकार स्थापित कर लिया. उसने अपने कर्मचारियों के नाम पर अलग-अलग फर्म बनाकर शराब के ठेके हासिल कर लिए थे और इन फर्मों का पूरा नियंत्रण योगेन्द्र तिवारी के हाथ में था।
झारखंड में जो शराब घोटाला हुआ है उसके तार छत्तीसगढ़ से भी जुड़े हैं. दरअसल, झारखंड सरकार ने वर्ष 2021-22 में उत्पाद शुल्क यानी शराब बिक्री की नई नीति लागू की थी और इसे लागू करने के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और उसे सलाहकार के रूप में नियुक्त किया था.
इस सलाहकार कंपनी की सलाह पर छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड सरकार ने भी शराब की खुदरा बिक्री अपने हाथ में ले ली और दुकानें चलाने की जिम्मेदारी प्लेसमेंट एजेंसियों को सौंप दी. यह काम छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन एमडी अरुण पति त्रिपाठी और उनके पार्टनर सिद्धार्थ सिंघानिया की देखरेख में किया गया था।
अब झारखंड के शराब घोटाले में उनकी भूमिका की जांच तेज होगी. ईडी की छत्तीसगढ़ इकाई ने मामले के सिलसिले में अप्रैल में झारखंड के दो आईएएस अधिकारियों विनय कुमार चौबे और करण सत्यार्थी को भी तलब किया है।
संभावना है कि ईडी की झारखंड इकाई भी अब इन दोनों अधिकारियों को नोटिस जारी कर सकती है. चूंकि विनय चौबे झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के सचिव भी हैं, इसलिए जांच की आंच आखिरकार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सीएम तक पहुंच सकती है.
इससे पहले ईडी 1000 करोड़ रुपये के खनन घोटाले में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से भी पूछताछ कर चुकी है. जमीन घोटाले की जांच में भी उन्हें पांच बार तलब किया जा चुका है. सोरेन इनमें से किसी भी समन पर उपस्थित नहीं हुए और ईडी के खिलाफ पहले सुप्रीम कोर्ट और फिर हाई कोर्ट में याचिका दायर की.
हालांकि, अभी तक उन्हें कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है. संभव है कि ईडी इस मामले में उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई कर सकती है. इस बात को लेकर खुद हेमंत सोरेन भी आशंकित हैं और उन्होंने कहा है कि केंद्र की बीजेपी सरकार के इशारे पर उन्हें जेल भेजने की साजिश रची गई है.
पिछले साल साहिबगंज जिले के बरहरवा में एक टेंडर से जुड़े विवाद में ईडी ने सोरेन कैबिनेट में कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री आलमगीर आलम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. इसकी जांच भी आगे बढ़ सकती है.
सीएम सोरेन के प्रधान सचिव रहे वरिष्ठ आईएएस राजीव अरुण एक्का के खिलाफ ईडी करीब 200 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के सबूत जुटा चुकी है. एजेंसी ने इन सबूतों और विवरणों पर एक रिपोर्ट राज्य सरकार और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के साथ साझा की है और उनसे उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा है।
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