संथाल परगना के कुछ जिलों में लगातार बांग्लादेशी घुसपैठियों की खबरें सामने आती हैं. इस मामले पर राजनीति भी खूब होती रही है. लेकिन, यह हकीकत है कि साहेबगंज के इलाके में जनसंख्या असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो गई है. सरकारी आंकड़े के मुताबिक, साहेबगंज के राजमहल क्षेत्र में 2001 की जनगणना में 2011 की जनगणना के मुकाबले हिंदुओं की जनसंख्या अधिक हुआ करती थी और मुस्लिमों की कम. लेकिन, 2011 की जनगणना में अचानक से मुस्लिमों की आबादी में बढ़ोतरी देखने को मिली और हिंदुओं पर अल्पसंख्यक होने का खतरा पैदा होगा.
जनसंख्या के आंकड़े देखें तो साल 2001 की जनगणना में साहेबगंज की कुल आबादी 9 लाख 27 हजार थी. इसमें मुसलमानों की आबादी 2 लाख 70 हजार थी. 2011 की जनगणना यानी 10 साल बाद साहेबगंज की कुल आबादी 11 लाख 50 हजार हुई. इसमें मुस्लिम आबादी 3 लाख 8 हजार हो गई, जो तिहाई से मामूली कम है, परन्तु गैर आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, 2021 में 4 लाख 84 हजार हो गई है. साहेबगंज में वर्तमान में मुस्लिम समुदाय की आबादी 34.61% हो चुकी है. वहीं, दूसरी ओर हिंदू समुदाय की 2023 में अनुमानित संख्या 7 लाख 63 हजार है, यानी कुल आबादी का 54.59% है.
आंकड़े के इस खेल को समझने के लिए जब News18 की टीम संथाल परगना के साहेबगंज जिले के राजमहल क्षेत्र में उतरी तो चौंकाने वाले सबूत हाथ लगे. सबूत यह बताते हैं कि संथाल परगना के इलाके में बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठ हुए हैं और बांग्लादेश से आए लोगों ने साहेबगंज में अपना ठिकाना बना लिया है.
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साहेबगंज पुलिस के मुताबिक, एक मामला 18 मार्च 2016 को सामने निकल कर तब आया था जब उधवा के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी ने शिकायत की थी. प्रखंड विकास पदाधिकारी की शिकायत के मुताबिक, राधानगर थाना क्षेत्र में अवैध तरीके से बांग्लादेशियों का आधार कार्ड बनाया जाता है. इसके आलोक में स्थानीय उप मुखिया और बीएलओ मोहम्मद समरूद्दीन शेख और अफजल शेख को बांग्लादेशी का नाम वोटर लिस्ट में जोड़ने और यहां पर उनको नागरिकता दिलाने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
वहीं, दूसरा मामला भी साहेबगंज जिले में ही निकल कर सामने आया था, जहां एक व्यक्ति के पास से पुलिस ने साहेबगंज और बांग्लादेश दोनों ही जगहों का पहचान पत्र बरामद किया था. इसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में लिया था. साहेबगंज के राधा नगर थाना क्षेत्र के ही एक मामले में पुलिस ने श्रीधर पुर के तत्कालीन उप मुखिया गणेश कीर्तनिया को भी अवैध तरीके से बांग्लादेशी का भारतीय आई कार्ड निर्गत करने के आरोप में जेल भेजा था.
मामला यहीं नहीं रुका और ऐसा ही एक मामला 29 अगस्त 2018 को सामने निकल कर आया था. राजमहल थाना क्षेत्र के लखीपुर पंचायत के मानसिंहा गांव निवासी मैमूल हक ने राजमहल थाना में शिकायत की थी कि उनके पड़ोस में रहने वाली तोहिमीना बेबा के पास भारत और बांग्लादेश दोनों ही जगह के पहचान पत्र हैं. मैमूल हक ने शिकायत करते हुए यह भी कहा था कि तोहिमीना बेबा बांग्लादेश से भारत आ भारतीय मुसलमानों की जमीन को भी हथियाने का प्रयास करती है.
वहीं, एक अलग मामले में साहिबगंज के राधानगर थाना क्षेत्र के ही रहने वाले मुरसलीन ने News18 से बात करते हुए बताया है कि मुरसलीन के साथ उनके पड़ोसी बांग्लादेशियों के साथ मिलकर मारपीट इस वजह से करते हैं, क्योंकि वह किसी पार्टी विशेष का सपोर्टर है. मुरसलीन बताते हैं उनके पड़ोसी गंगा के उस पार से बांग्लादेशियों को अपने घर में पनाह देते हैं और फिर उनके साथ मारपीट कर यह कहा जाता है कि किसी एक खास पार्टी को वोट करें.
कैसे मिलती है बांग्लादेशियों को पनाह
जब न्यूज18 की टीम ने यह जानने का प्रयास किया कि आखिर बांग्लादेशी भारत में रुकते कहां हैं तो सबसे पहला नाम मदरसा का सामने आया. सरकारी आंकड़े के मुताबिक उधवा के क्षेत्र में सिर्फ 5 मदरसे हैं. स्थानीय पश्चिमी जामनगर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि चिरंजीवी कुमार सरकार ने बताया कि उनके क्षेत्र में कई ऐसे मदरसे संचालित हैं जिसका आंकड़ा सरकारी दस्तावेज में नहीं है. जाहिर है ये बताता है कि वहां अवैध काम किए जातें हैं.
हिंदुओं में डर का माहौल
साहेबगंज के मुस्लिम बहुल इलाके जहां बांग्लादेशी घुसपैठियों ने पनाह ली है उस इलाके की हिंदू आबादी भी डरी और सहमी सी नजर आती है. साहिबगंज के श्रीधरपुर क्षेत्र के लोग बताते हैं कि क्षेत्र में जिस भी बांग्लादेशी घुसपैठियों को पनाह मिली है वो अवैध कामों में संलिप्त रहते हैं. इस पार से उस पार यानी भारत से बांग्लादेश में अवैध तरीके से चोरी की गई गाड़ियां, सोने और कई तरह के नशीले पदार्थ को सप्लाई करने का काम करते हैं.
क्यों हो रही राजनीति
इधर इस पूरे मामले पर राजनीति भी खूब हो रही है. जहां एक ओर भाजपा राज्य की सरकार पर यह आरोप लगाती है कि राज्य की सरकार तुष्टिकरण की राजनीति और अपने वोट बैंक की राजनीति के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों को पनाह दे रही है. दूसी ओर विपक्ष भी यह कहने से नहीं चूकता कि बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स केंद्र सरकार के अधीन होती है तो केंद्र सरकार को जवाब देना चाहिए कि आखिर बॉर्डर के इलाके से कैसे बांग्लादेशी भारत मे प्रवेश कैसे कर रहे हैं.
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