पाकुड़। झामुमो जिला अध्यक्ष श्याम यादव के नेतृत्व में पाकुड़ बिरसा चौक स्थित बिरसा मुंडा जी के जयंती बड़ी धूमधाम से मनाया गया। बिरसा मुंडा जी के आदमकद मूर्ति पर माला अर्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी, तत्पश्चात श्याम यादव ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे नायक रहे, जिन्होंने अपने क्रांतिकारी चिंतन से 19वीं शताब्दी की शुरुआत में ना सिर्फ झारखंड बल्कि देश में बसने वाले आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नये सामाजिक और राजनीतिक युग की नींव रखी। अंग्रेजी सरकार के काले कानूनों को चुनौती देकर बर्बर ब्रिटिश साम्राज्य को सांसत में डाल दिया।
झारखंड की कोख ने कई अनगिनत सपूतों को जन्म दिया। जिन्होंने आजादी और अपनी धरती की रक्षा के लिए प्राणों की आहूति दे दी। अंग्रेजी शासक इन क्रांतिकारियों के शौर्य से कांपती थी। ये क्रांतिकारी भले ही कम उम्र में ही देश के लिए न्योछावर हो गए लेकिन उन्होंने आजादी और आदिवासियों के हक के लिए जो मशाल जलाई वह युगों-युगों तक रोशन होती रहेगी। उन्हें में से एक हैं महानायक भगवान बिरसा मुंडा थे।
उक्त कार्यक्रम में उपस्थित जिला सचिव सुलेमान बास्की ने कहा 22 अगस्त 1895 को बिरसा मुंडा को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 2 साल की कठोर कारावास की सजा दी और 50 रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना ना देने के कारण वो करीब ढाई साल बाद हजारीबाग जेल से रिहा हुए और फिर से अपने जन आंदोलन में जुट गये। 1897 से 1900 के बीच मुंडा समाज और अंग्रेजी सिपाहियों के बीच लगातार युद्ध होते रहे। बिरसा मुंडा और उसके समर्थकों ने अंग्रेजी सेना की नाक में दम कर दिया। अगस्त 1897 में बिरसा मुंडा और उसके 400 सिपाहियों ने तीर कमानों से लैस होकर खूंटी थाना पर धावा बोला।
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उक्त कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित जिला सचिव सुलेमान बास्की, जिलापरिषद अध्यक्ष सह झामुमों महिला नेत्री जुली खिस्टमुनी हेम्ब्रम, महिला अध्यक्ष जोसेफिना हेम्ब्रम, अल्पसंख्यक जिला अध्यक्ष हबीबुर्रहमान, पाकुड़ प्रखंड अध्यक्ष मुस्लेउद्दीन शेख़, नगर अध्यक्ष मुकेश सिंह, पाकुड़ प्रमुख प्रखंड सचिव जहीरुद्दीन अंसारी, युवा सचिव ऊमर फारुख, संगठन सचिव महमूद आलम, महिला जिला सचिव सुशीला देवी, नगर सचिव नुरअलम, महिला संगठन सचिव सुशीला हेम्ब्रम, उपाध्यक्ष अजफरुल शेख़, रफिजुद्दीन शेख़, फुरकान शेख़, मेसकतुल शेख, क़ौसर शेख, जरसीड शेख, तनवीर आलम, दयानन्द भगत, बारीक शेख़, यूसुफ शेख़, बोलाई हांसदा, पंचनन्द रजवार एवं उपस्थित रहे।