पाकुड़। पाकुड़िया के एक घर पर उस समय दहशत फैल गई, जब एक घर में अप्रत्याशित रूप से एक विशाल कोबरा पाया गया। सांप को देखकर घबराए स्थानीय लोग डर के मारे उसे मारने का प्रयास करने लगे। भीड़ से एक व्यक्ति आगे बढ़ा और लोगों को साप को ना मारने का आग्रह करने लगा। इस व्यक्ति ने वनकर्मी असराफूल हक ‘स्नेक रेस्क्यूवर’ को इसकी सूचना दी। जो सांप बचाव में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं।
सुचना मिलते ही असराफुल हक ने बिना समय बर्बाद किए घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने न केवल सांप को बचाया, बल्कि उसको लाठी से आई चोट को लेकर सीधे सरकारी पशु चिकित्सा अस्पताल ले गए। इस साहसी कार्य को देख रहे ग्रामीण न केवल राहत महसूस कर रहे थे, बल्कि हक की कार्यकुशलता से आश्चर्यचकित भी थे। बचाव यहीं समाप्त नहीं हुआ, असराफुल हक घायल कोबरा को आगे के इलाज के लिए निकटतम सरकारी पशु अस्पताल में ले गए। उपस्थित पशुचिकित्सक डॉ. मनु जयसवाल ने कोबरा की चोट पर पट्टी लगाकर उसका इलाज किया, जो उनके लिए एक अनोखा अनुभव था क्योंकि यह उनका पहली बार था, जब उन्होंने किसी सांप का इलाज किया था।
यह घटना वन्यजीवों, विशेषकर सांपों से निपटने के बारे में लोगों के बीच जागरूकता और ज्ञान की कमी पर प्रकाश डालती है। कोबरा को नुकसान पहुँचाने की घबराहट और कोशिश ने इन प्राणियों के साथ सह-अस्तित्व के महत्व के बारे में समझ की सामान्य कमी को दर्शाया। असराफुल हक के हस्तक्षेप ने न केवल सांप को बचाया बल्कि समुदाय के लिए एक शैक्षिक क्षण के रूप में भी काम किया।
यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में वन्यजीव शिक्षा की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करती है, जिसमें सभी जीवित प्राणियों के सम्मान और सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया गया है। असराफुल हक, जिन्हें आमतौर पर “स्नेक रेस्क्यूअर हीरो” के रूप में जाना जाता है। जो दूसरों को वन्यजीवों का सामना करते समय वैकल्पिक तरीकों पर विचार करने के लिए प्रेरित करते हैं।
वन विभाग ने वन्यजीव संरक्षण के प्रति असराफुल हक की त्वरित प्रतिक्रिया और समर्पण की सराहना की है। उन्होंने जनता से जानवरों को नुकसान पहुंचाने से परहेज करने और इसके बजाय अधिकारियों या अनुभवी वन्यजीव बचावकर्ताओं को ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने का आग्रह किया है।
जानवरों के हक के लिए लड़ों, उनको मारने के लिए पीछे मत पड़ों