पाकुड़। झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार रांची के निर्देशानुसार जिला स्तरीय मल्टी स्टेक होल्डर कंसल्टेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़, शेष नाथ सिंह के निर्देश पर अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रान्ति प्रसाद, डीएसपी जितेंद्र कुमार, सिविल सर्जन डॉ. मंटु कुमार टेकरीवाल और एसडीपीओ डी. एन. आजाद ने दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पोक्सो अधिनियम 2012 एवं 2020 के विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करना था। इस दौरान अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रान्ति प्रसाद ने पोक्सो अधिनियम के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी और बताया कि पीड़ितों के अधिकारों की सुरक्षा में न्यायपालिका की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान में चूक के कारण कई अपराधी बच जाते हैं, इसलिए पुलिस पदाधिकारियों को संवेदनशील होकर जांच करने की आवश्यकता है।
इस कार्यक्रम में न्यायिक दंडाधिकारी, जिला पुलिस अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, सीडब्ल्यूसी के अधिकारी समेत कई अन्य संबंधित विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। उन्हें पोक्सो अधिनियम वाद से पीड़ितों को तुरंत न्याय दिलाने के लिए अपने दायित्वों की निभाते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए।
पीड़ितों के अधिकार और न्याय की सुरक्षा
कार्यक्रम के दौरान अंतरिम मुआवजा और विशेष राहत, विशेष राहत का तत्काल भुगतान समेत कई महत्वपूर्ण कानूनी जानकारियों से भी अवगत कराया गया। अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्जवल बेक ने किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी।
अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रान्ति प्रसाद ने बताया कि न्यायपालिका का प्रमुख कार्य पीड़ितों को न्याय दिलाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अपनी जांच प्रक्रिया में संवेदनशीलता और सतर्कता बरतें ताकि पीड़ितों को न्याय मिलने में कोई बाधा न आए।
कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारी
इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी, जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के सचिव अजय कुमार गुड़िया, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्जवल बेक, प्रभारी न्यायाधीश विजय कुमार दास, डीएसपी जितेंद्र कुमार, एसडीपीओ डी. एन. आजाद, सिविल सर्जन डॉ. मंटु कुमार टेकरीवाल और अधिवक्तागण समेत कई अन्य संबंधित विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
पोक्सो अधिनियम की महत्वता
पोक्सो अधिनियम 2012 एवं 2020 के तहत बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की रोकथाम और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से सुरक्षित रखना है।
अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रान्ति प्रसाद ने बताया कि इस अधिनियम के तहत दोषियों को कड़ी सजा देने का प्रावधान है, जिससे समाज में एक सकारात्मक संदेश जाए और अपराधियों में भय बना रहे। उन्होंने कहा कि पुलिस और न्यायपालिका को मिलकर काम करना होगा ताकि पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके और अपराधियों को सजा दी जा सके।
किशोर न्याय अधिनियम
अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्जवल बेक ने किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस अधिनियम का उद्देश्य बच्चों की देखरेख और संरक्षण करना है, ताकि वे अपराध की दुनिया से दूर रह सकें और उन्हें एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिल सके।