Monday, November 25, 2024
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कल होगा बागतीपाड़ा में मनसा पूजा का भव्य आयोजन

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पाकुड़। नगर के बागतीपाड़ा स्थित मनसा मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी मनसा पूजा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर बागतीपाड़ा में सात रातों तक चलने वाले ‘बिहुला मनसा गान’ का आयोजन किया गया, जिसने पूरे क्षेत्र के श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस लोकगाथा पर आधारित गान में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और माता मनसा की भक्ति में सराबोर हो गए।

बिहुला मनसा गान: लोककथा का जीवंत अनुभव

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बिहुला मनसा गान, जो कि एक प्रसिद्ध लोकगाथा पर आधारित है, इस आयोजन का मुख्य आकर्षण रहा। यह गान शिव भक्त चंद्रधर सौदागर, उनके पुत्र बाला लखिन्द्र और उनकी पुत्रवधू बिहुला देवी की कथा पर आधारित है। इस कथा में देवी मनसा की भक्ति और उनके प्रति श्रद्धा को बहुत ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है।

पिछले सात रातों से यह गान बागतीपाड़ा के मनसा मंदिर प्रांगण में गाया जा रहा था। इस दौरान वरिष्ठ मनसा गीत गायक दीपक सरदार और तिर्थी भास्कर के नेतृत्व में मंडली के अन्य गायक और नाट्य कलाकारों ने नाल, मंजीरा और करताल के साथ भक्ति पूर्ण गीतों को प्रस्तुत किया। उनके इस प्रस्तुति ने वहां उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।

मनसा देवी के गीतों से गूंजा बागतीपाड़ा

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इस आयोजन का अंतिम रात्रि आज शुक्रवार को होगा, जिसमें मनसा देवी के गीतों की गूंज देर रात तक सुनाई देगी। रात के तीन बजे तक मंदिर का प्रांगण भक्तों के गीतों और जयकारों से गुंजायमान रहेगा। इस विशेष आयोजन को देखने के लिए आसपास के क्षेत्रों से भी विषहरी भक्त बागतीपाड़ा पहुंचे है। आयोजन में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि इस गान ने उनके मन में माता मनसा के प्रति अटूट श्रद्धा और भक्ति का संचार किया है।

मनसा पूजा: श्रद्धा और आस्था का केंद्र

बिहुला मनसा गान के सफल आयोजन के बाद कल बागतीपाड़ा के मनसा मंदिर में विधिवत रूप से मनसा पूजा की जाएगी। इस पूजा में पाकुड़ नगर ही नहीं बल्कि झारखण्ड के अन्य जिले सहित, पश्चिम बंगाल और बिहार से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। माता मनसा की इस पूजा में श्रद्धालु माता के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पूजा-अर्चना करते हैं।

इस वर्ष भी बागतीपाड़ा के युवा आयोजन की तैयारी में दिन-रात लगे हुए हैं। अमित घोष, बच्चू राय, लव रजक, हिसाबी राय, रोहित गुप्ता, शुकु मंडल, विश्वजीत राय, बिट्टू राम, प्रेम राय जैसे कई युवा इस आयोजन को सफल बनाने के लिए पूरी निष्ठा से काम कर रहे हैं। ये युवा अपनी श्रद्धा और उत्साह के साथ इस आयोजन को पूरी भव्यता से सम्पन्न करने के लिए समर्पित हैं।

मंदिर प्रांगण में जुटे श्रद्धालु

आज संध्या पूजा के अवसर पर मंदिर के प्रांगण में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालु माता मनसा के दर्शन के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े दिखाई दे रहे हैं। मंदिर के पुजारियों द्वारा विधि-विधान से पूजा-अर्चना की, जिसमें श्रद्धालु पूरे मनोयोग से भाग लिया।

मंदिर प्रबंधन द्वारा पूजा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, ताकि सभी को आसानी से माता के दर्शन और पूजा का लाभ मिल सके। इसके अलावा, मंदिर प्रांगण में सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, जिससे किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।

समाप्ति की ओर सात दिवसीय आयोजन

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बिहुला मनसा गान के सात दिवसीय आयोजन की समाप्ति के साथ ही मनसा पूजा का विशेष अनुष्ठान संपन्न होने जा रहा है। सात रातों तक चले इस आयोजन ने बागतीपाड़ा को भक्ति के रंग में पूरी तरह से रंग दिया है। इस आयोजन के माध्यम से जहां एक ओर श्रद्धालुओं को माता मनसा की भक्ति में डूबने का अवसर मिला, वहीं दूसरी ओर लोककथा की जीवंत प्रस्तुति ने उन्हें प्राचीन परंपराओं और मान्यताओं से जोड़ने का काम किया।

आयोजन के प्रति श्रद्धालुओं की भावनाएं

श्रद्धालुओं ने इस आयोजन के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि बिहुला मनसा गान और मनसा पूजा ने उन्हें एक दिव्य अनुभव प्रदान किया है। उनके अनुसार, इस प्रकार के आयोजन से उन्हें अपनी धार्मिक मान्यताओं के प्रति और अधिक आस्था और विश्वास मिलता है।

आयोजन में शामिल होने वाले एक श्रद्धालु ने कहा, “यहां आकर मन को एक अनोखी शांति और संतोष प्राप्त होता है। माता मनसा की पूजा और इस लोकगाथा को सुनने के बाद मेरे जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है।”

मनसा पूजा का धार्मिक महत्व

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मनसा पूजा का धार्मिक महत्व इस क्षेत्र में बहुत गहरा है। यहाँ के लोग माँ मनसा को नाग देवी के रूप में पूजते हैं, जो विशेष रूप से सर्पदंश से रक्षा करती हैं। ग्रामीण मान्यताओं के अनुसार, माँ मनसा की कृपा से सर्पदंश से मुक्ति मिलती है, और उनके भक्तों के सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं। माँ मनसा के प्रति अटूट आस्था के कारण ही हर साल बड़ी संख्या में लोग इस पूजा में शामिल होते हैं।

इस वर्ष भी, मंदिर परिसर में कल सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ देखी जायेगी। मुख्य पुजारी रामू राय के नेतृत्व में पूजा अर्चना की जाएगी। रामू राय ने बताया कि माँ मनसा सभी भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। उनके अनुसार, यह पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह ग्रामवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक आयोजन भी है। इस दौरान भक्तगण अपने परिवार की सुख-समृद्धि और शांति के लिए माँ मनसा से आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।

ग्राम भ्रमण और पारंपरिक रीतियाँ

पूजा के दौरान, मुख्य पुजारी रामू राय और अन्य पुजारी ग्राम भ्रमण करते हैं। यह ग्राम भ्रमण एक विशेष परंपरा है, जिसमें वे ग्राम के प्रत्येक घर में जाकर वहाँ की नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए पूजा अर्चना करते हैं। ग्राम भ्रमण के बाद, विशेष पूजा कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जो विभिन्न पारंपरिक रीतियों के साथ संपन्न होता है।

मंदिर परिसर में मेले का आयोजन

पूजा के दौरान मंदिर परिसर में एक दिन का मेला भी आयोजित किया जाता है। यह मेला स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का उत्सव है, जिसमें खाने-पीने के स्टॉल, बच्चों के खिलौने, और मनोरंजन के विभिन्न साधन लगाए जाते हैं। इस मेले में स्थानीय लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं और इसे बहुत ही उत्साहपूर्वक मनाते हैं। मेला में बच्चों और बड़ों दोनों के लिए विशेष आकर्षण होते हैं, जो इसे एक पारिवारिक आयोजन बना देता है। मेले के दौरान, मंदिर परिसर में भक्तों का तांता लगा रहता है और पूरे दिन का माहौल भक्तिमय बना रहता है।

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