रांची। झारखंड की राजधानी रांची में व्यवसायिक शिक्षकों द्वारा अपने विभिन्न मांगों को लेकर पिछले 20 अगस्त से अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन जारी है। यह आंदोलन झारखंड के सभी प्लस टू विद्यालयों में व्यवसायिक शिक्षा से जुड़े शिक्षकों द्वारा किया जा रहा है, जिससे राज्य के हजारों छात्रों का पठन-पाठन प्रभावित हुआ है। धरने पर बैठे शिक्षकों का कहना है कि उनकी मांगें पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा, और वे पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं।
इस आंदोलन का मुख्य कारण शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की मांग है। वर्तमान में व्यवसायिक शिक्षक ठेका प्रथा के तहत कार्यरत हैं, जिसके कारण उन्हें स्थायीत्व, वेतन वृद्धि, और अन्य आवश्यक सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है। शिक्षकों का कहना है कि ठेका प्रथा के तहत उन्हें न तो समय पर वेतन मिलता है और न ही उनकी सेवाओं को स्थायीत्व दिया जाता है। यही कारण है कि वे ठेका प्रथा को खत्म कर उन्हें विभाग में स्थायी रूप से समायोजित करने की मांग कर रहे हैं।
शिक्षकों के इस आंदोलन के कारण झारखंड के सभी प्लस टू विद्यालयों में व्यवसायिक शिक्षा का कार्य पूरी तरह से ठप हो गया है। इस स्थिति से छात्रों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनकी पढ़ाई-लिखाई प्रभावित हो रही है। कई छात्रों के लिए यह समय महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे अपने करियर के महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। शिक्षकों के इस आंदोलन से उनकी तैयारी और भविष्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
शिक्षकों का कहना है कि वे लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। पाकुड़ उत्कर्मित उच्च विद्यालय अंजना के शिक्षक समीम अंसारी ने बताया, “हमारी मांगें बहुत सरल और न्यायसंगत हैं। हम ठेका प्रथा का अंत चाहते हैं और चाहते हैं कि हमें विभाग में स्थायी नियुक्ति दी जाए। इसके साथ ही, हमारी वेतन वृद्धि भी समय पर होनी चाहिए।”
सरकार की ओर से अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया न मिलने से शिक्षकों में नाराजगी है। उनका कहना है कि वे तब तक अपना धरना-प्रदर्शन जारी रखेंगे जब तक सरकार उनकी मांगों को मान नहीं लेती।