पाकुड़। झालसा रांची के निर्देशानुसार, जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ (डीएलएसए) एवं जिला प्रशासन, जिला समाज कल्याण शाखा पाकुड़, महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के संयुक्त तत्वाधान में एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम सूचना भवन, पुराना समाहरणालय परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें दिव्यांग बच्चों के लिए 45 दिवसीय विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की गई और सामाजिक कुरीतियों के निवारण हेतु विभिन्न हितधारकों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम की शुरुआत
इस कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ की गई, जिसे जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के सचिव अजय कुमार गुड़िया, जनसूचना विभाग के पदाधिकारी, समाज कल्याण विभाग के पदाधिकारी, चिकित्सा अधिकारी, लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम (एलएडीसीएस) के डिप्टी चीफ मो. नुकुमुद्दिन शेख और एलएडीसीएस के सहायक गंगाराम टुडू ने संयुक्त रूप से संपन्न किया। इसके बाद, संबंधित विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने उपस्थित अतिथियों का गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया।
कानूनी जागरूकता अभियान
कार्यक्रम में मुख्य रूप से कानूनी जागरूकता अभियान पर जोर दिया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के सचिव अजय कुमार गुड़िया ने कार्यक्रम के दौरान उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि डीएलएसए द्वारा गरीब, लाचार, योग्य, महिला, बच्चे, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और दिव्यांग व्यक्तियों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने इस सहायता को प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी और प्राधिकरण के अधिवक्ताओं और पैरा लीगल वॉलिंटियर्स (पीएलवी) के संपर्क नंबर भी उपलब्ध कराए।
बाल विवाह पर कानूनी जानकारी
लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के डिप्टी चीफ मो. नुकुमुद्दिन शेख ने कार्यशाला के दौरान बाल विवाह के विषय पर प्रकाश डालते हुए इसके कानूनी पहलुओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कई एक्ट्स का ज़िक्र करते हुए बताया कि बाल विवाह न केवल एक सामाजिक बुराई है, बल्कि यह कानूनी रूप से भी अपराध है। इसके लिए कानून में सख्त सजा का प्रावधान है। उन्होंने लोगों को बाल विवाह के दुष्परिणामों से अवगत कराया और इसे रोकने के लिए कानूनी उपायों की जानकारी दी।
डायन प्रथा पर जागरूकता
कार्यशाला में लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के सहायक गंगाराम टुडू ने डायन प्रथा के मुद्दे पर बात की। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन-जायदाद के विवादों के कारण महिलाओं को डायन बताकर उनकी संपत्ति हड़पने की घटनाएं अक्सर होती हैं। इस कुप्रथा के पीछे फैले अंधविश्वास और भ्रम को दूर करने के लिए उन्होंने उपस्थित लोगों को सजग और सतर्क रहने की सलाह दी। साथ ही, उन्होंने इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए कई कानूनी धाराओं और उनके उपयोग की जानकारी भी दी।
दिव्यांग बच्चों के लिए विकलांग प्रमाण पत्र वितरण
कार्यक्रम के अंतर्गत, जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के सचिव अजय कुमार गुड़िया द्वारा दर्जनों दिव्यांग बच्चों के बीच विकलांग प्रमाण पत्र का वितरण किया गया। इस पहल का उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों को समाज में सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में सहायता प्रदान करना था। इसके साथ ही, उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया गया।
कार्यक्रम में भारी संख्या में लोगों की उपस्थिति
इस विशेष कार्यक्रम में संबंधित विभागों के पदाधिकारी, कर्मचारी, महिला पर्यवेक्षिका, आंगनबाड़ी सेविका, पैरा लीगल वॉलिंटियर्स पिंकी मंडल, उत्पल मंडल, नीरज कुमार राउत समेत भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन सफलतापूर्वक हुआ और इसके माध्यम से सामाजिक जागरूकता बढ़ाने के साथ ही कानूनी सहायता की पहुंच को और अधिक विस्तारित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए।
सामाजिक कुरीतियों के निवारण में योगदान
इस कार्यक्रम ने समाज में व्याप्त कुरीतियों के निवारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके माध्यम से न केवल दिव्यांग बच्चों के जीवन में सुधार की दिशा में काम किया गया, बल्कि समाज के अन्य वंचित वर्गों के लिए भी कानूनी सहायता की राह आसान की गई। यह पहल सामाजिक जागरूकता और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई, जिसने लोगों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया।