Tuesday, November 26, 2024
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खेलो झारखंड प्रतियोगिता: पाकुड़ जिला ओलंपिक संघ ने उठाए गंभीर सवाल

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rajkumar bhagat photo

पाकुड़। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग समग्र शिक्षा पाकुड़ के तत्वावधान में खेलो झारखंड 2024-25 के अंतर्गत जिला स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन जिला स्टेडियम, बैंक कॉलोनी, पाकुड़ में किया गया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य राज्य के विद्यालय स्तर पर खेलों को बढ़ावा देना और छात्रों को खेलों में प्रोत्साहित करना था। हालांकि, इस आयोजन को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं, खासकर पाकुड़ जिला ओलंपिक संघ द्वारा, जिन्होंने आयोजन प्रक्रिया पर कड़ी आपत्ति जताई है।

पाकुड़ जिला ओलंपिक संघ के अध्यक्ष अर्धन्दु शेखर गांगुली ने बताया कि राज्य परियोजना निदेशक द्वारा जारी किए गए पत्रांक एसपीई/51/27/2024/2950, दिनांक 12 अगस्त 2024 के अनुसार, सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि खेलो झारखंड के आयोजन के लिए कमेटी का गठन किया जाए। इस कमेटी में जिला ओलंपिक संघ के पदाधिकारियों को भी सदस्य के रूप में शामिल किया जाना था, और तकनीकी सहयोग के लिए जिला ओलंपिक संघ से सलाह ली जानी थी।

गांगुली ने आरोप लगाया कि जिला शिक्षा विभाग ने न तो जिला ओलंपिक संघ को इस आयोजन से संबंधित किसी बैठक में बुलाया, और न ही उनसे किसी प्रकार का तकनीकी सहयोग लिया गया। उनके अनुसार, यह आयोजन बिना जिला ओलंपिक संघ की जानकारी के हो रहा है, और तकनीकी दृष्टिकोण से यह बेहद अनियमित है।

खानापूर्ति और सरकारी राशि का दुरुपयोग

अर्धन्दु शेखर गांगुली ने आगे बताया कि झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना खेलो झारखंड के अंतर्गत जिला और प्रखंड स्तर पर लाखों रुपये आवंटित किए गए हैं ताकि खेलों को बढ़ावा दिया जा सके और छात्रों को राज्य स्तर पर खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका मिले। लेकिन उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिला शिक्षा परियोजना विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सरकारी योजनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

गांगुली का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से जिले में जमे अधिकारी और कर्मचारी खेलो झारखंड जैसी योजनाओं को केवल खानापूर्ति के लिए आयोजित कर रहे हैं, जिससे राज्य स्तर पर जाने वाले छात्रों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। उनका आरोप है कि इस आयोजन के लिए आवंटित धन का बंदरबांट किया जा रहा है, और इसके पीछे एक साजिश हो सकती है ताकि योग्य खिलाड़ियों को सही मंच न मिल सके।

जांच की मांग

गांगुली ने जोर देते हुए कहा कि जिला शिक्षा परियोजना में विगत वर्षों से किए गए कार्यों की जांच होनी चाहिए, खासकर खेलो झारखंड प्रतियोगिता के लिए खर्च की गई राशि की जांच आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जिला और प्रखंड स्तर पर आयोजन के लिए आवंटित धनराशि का सही उपयोग नहीं हो रहा है, और इसका प्रभाव सीधे तौर पर छात्रों पर पड़ रहा है, जो राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने से वंचित रह जाते हैं।

गांगुली ने यह भी बताया कि इस पूरी घटना की जानकारी झारखंड के शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और पाकुड़ जिले के उपायुक्त को भी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पत्र के माध्यम से इन सभी को अवगत कराया जाएगा और इस मामले की जांच के लिए उचित कार्रवाई की मांग की जाएगी।

सरकार की योजनाओं पर सवाल

यह मामला सिर्फ पाकुड़ जिले तक सीमित नहीं है। गांगुली ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन अगर सही ढंग से नहीं किए गए, तो इससे पूरे राज्य के खिलाड़ियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि खेलो झारखंड जैसी योजनाएं सरकार की एक बड़ी पहल हैं, जिनका उद्देश्य छात्रों को खेल के क्षेत्र में प्रोत्साहित करना और उन्हें बेहतर अवसर प्रदान करना है। लेकिन अगर इस प्रकार से इन योजनाओं के साथ खिलवाड़ किया जाएगा, तो इसका फायदा छात्रों को नहीं मिलेगा, बल्कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी इसका लाभ उठाएंगे।

खिलाड़ियों का भविष्य अधर में

गांगुली ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार की अनियमितताएं खिलाड़ियों के भविष्य को खतरे में डाल सकती हैं। अगर जिला स्तर पर इस तरह की घटनाएं होती रहीं, तो प्रतिभावान खिलाड़ी जो राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, वे बिना किसी मंच के रह जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं का सही तरीके से कार्यान्वयन होना बेहद जरूरी है, ताकि देश के उभरते खिलाड़ी सही दिशा में आगे बढ़ सकें।

आयोजन की पारदर्शिता पर सवाल

जिला ओलंपिक संघ ने आयोजन की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए हैं। गांगुली ने कहा कि अगर आयोजन बिना तकनीकी विशेषज्ञों के और बिना उचित नियमों का पालन किए किया जाएगा, तो इससे न केवल खेलों की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा, बल्कि खिलाड़ियों की प्रतिभा को भी नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि आयोजन में पारदर्शिता और तकनीकी सहयोग बेहद महत्वपूर्ण है ताकि सही निर्णय लिए जा सकें और खिलाड़ियों को सही मार्गदर्शन मिल सके।

खेलो झारखंड 2024-25 के आयोजन को लेकर जिला ओलंपिक संघ द्वारा उठाए गए सवाल गंभीर हैं। आरोप है, यह आयोजन केवल एक खानापूर्ति के रूप में देखा जा रहा है, जहां छात्रों के खेल कौशल को सही ढंग से विकसित करने की बजाए, भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिला ओलंपिक संघ ने इस मामले की जांच की मांग की है और उचित कार्रवाई के लिए शिक्षा मंत्री और अन्य अधिकारियों को अवगत कराने का निर्णय लिया है।

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