पाकुड़। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के कार्यकर्ताओं की एक बैठक पाकुड़ जिले के मुख्यालय स्थित भगत धर्मशाला में आयोजित की गई। इस बैठक में पार्टी की प्रमुख नेता और पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात की उपस्थिति ने सभी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया। बैठक का मुख्य उद्देश्य संगठन की मजबूती और विस्तार को लेकर चर्चा करना था।
संगठन के विस्तार की आवश्यकता पर जोर
वृंदा करात ने अपने संबोधन में कहा कि पार्टी को मजबूत बनाने के लिए संगठन का विस्तार अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आज के समय में पार्टी के सामने कई चुनौतियां हैं, और इन चुनौतियों का सामना तभी किया जा सकता है जब अधिक से अधिक नए लोगों को संगठन से जोड़ा जाए। करात ने यह भी कहा कि संगठन की मजबूती ही पार्टी की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचा सकती है और इसीलिए कार्यकर्ताओं को अधिक मेहनत करनी होगी ताकि संगठन पूरे राज्य में मजबूती के साथ उभर सके।
वन नेशन, वन इलेक्शन का विरोध
करात ने केंद्रीय कैबिनेट द्वारा वन नेशन, वन इलेक्शन को मंजूरी दिए जाने पर कड़ा विरोध जताया। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान प्रत्येक 5 साल में जनता को सरकार बनाने का अधिकार देता है और यह संसदीय प्रणाली की बुनियाद है। उन्होंने कहा कि यदि वन नेशन, वन इलेक्शन की प्रक्रिया लागू की जाती है, तो यह संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला होगा। करात के अनुसार, यह प्रणाली उन राज्यों के अधिकारों को खत्म कर देगी, जिनकी विधानसभा भंग कर चुनाव कराए जाएंगे, जो सीधे तौर पर जनता के अधिकारों पर प्रहार है।
वक्फ संशोधन बिल पर नाराजगी
वृंदा करात ने वक्फ संशोधन बिल पर भी सरकार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि बिना किसी ठोस आधार के इस बिल को लाया गया है, जो कि संविधान पर हमला है। करात ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार बीच-बीच में ऐसे मुद्दे उठाकर संविधान को कमजोर करने की कोशिश करती है। उन्होंने कहा कि यह बिल मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा चुनावी स्टंट
वृंदा करात ने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को भाजपा का एक चुनावी स्टंट बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा इस मुद्दे को हर चुनाव में उठाती है, लेकिन जब न्यायालय ने भाजपा से सबूत मांगे तो पार्टी एक भी सबूत पेश नहीं कर पाई। करात ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह केवल ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है और इसके जरिए अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रही है।
असम के मुख्यमंत्री पर तीखा प्रहार
वृंदा करात ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर भी कड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरमा जब भी बोलते हैं, उनके शब्द घृणा और विभाजन को बढ़ावा देते हैं। करात ने कहा कि ऐसे नेताओं के बयानों पर चुनाव आयोग को ध्यान देना चाहिए और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के नेताओं को जिम्मेदारी से बोलने की आवश्यकता है, ताकि समाज में शांति और एकता बनी रहे।
संविधान की रक्षा का आह्वान
वृंदा करात ने अपने संबोधन के अंत में सभी कार्यकर्ताओं से संविधान की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार लगातार संविधान पर हमला कर रही है, और ऐसे समय में सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वे संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करें। करात ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे देश के सभी नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए संघर्ष करें और इस संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए संगठन को और मजबूत बनाएं।
पार्टी कार्यकर्ताओं का संकल्प
बैठक के अंत में पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं ने संगठन को मजबूत बनाने और संविधान की रक्षा के लिए संकल्प लिया। सभी कार्यकर्ताओं ने कहा कि वे जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करते रहेंगे और पार्टी की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अधिक से अधिक लोगों को संगठन से जोड़ने का काम करेंगे।