पाकुड़। झारखंड सामान्य स्नातक योग्यताधारी संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा 2023 का आयोजन जिले के 15 परीक्षा केंद्रों पर हुआ। परीक्षार्थियों का आना सुबह 6:30 बजे से ही शुरू हो गया था, और समय पर सभी को परीक्षा केंद्रों में प्रवेश दिया गया। परीक्षा का आयोजन सुबह 8:30 बजे से प्रारंभ किया गया, जो तीन पालियों में आयोजित हुई। इस परीक्षा के लिए पाकुड़ जिले में कुल 5616 अभ्यर्थियों के लिए प्रवेश पत्र जारी किए गए थे, लेकिन केवल 1258 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए जबकि 4358 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे।
कदाचार मुक्त परीक्षा का आयोजन
परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सभी परीक्षा केंद्रों में दंडाधिकारियों और पुलिस पदाधिकारियों की सतत निगरानी में परीक्षा आयोजित की गई। परीक्षा को कदाचार मुक्त और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। सभी परीक्षा केंद्रों के 200 मीटर के दायरे में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, लाउडस्पीकर का उपयोग और 5 से अधिक व्यक्तियों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लगाया गया था।
हेल्प डेस्क का आयोजन
अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए जिला प्रशासन द्वारा रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर हेल्प डेस्क की व्यवस्था की गई थी। हेल्प डेस्क के माध्यम से अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र की दिशा और दूरी जैसी जरूरी जानकारी उपलब्ध कराई गई। इससे अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचने में सुविधा हुई और उन्हें किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।
कम उपस्थिति बनी चिंता का विषय
परीक्षा में अभ्यर्थियों की कम उपस्थिति एक गंभीर मुद्दा बन गया है। 5616 अभ्यर्थियों में से सिर्फ 1258 ही परीक्षा में शामिल हुए, जो कि चिंता का विषय है। शिक्षाविदों का मानना है कि इस स्थिति से यह संकेत मिलता है कि झारखंड में रोजगार पाने को लेकर युवाओं में रुचि कम हो रही है। यह सिर्फ पाकुड़ जिले की ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड की स्थिति है, और इसे लेकर गंभीर चिंतन की आवश्यकता है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थी परीक्षा से क्यों अनुपस्थित रहे।
परीक्षा के लिए कड़ी सुरक्षा और नियमों का पालन
परीक्षा केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई थी। परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध था। जिला प्रशासन की ओर से नियंत्रण कक्ष में नियुक्त पदाधिकारियों और कर्मियों द्वारा समय-समय पर परीक्षा केंद्रों से खैरियत प्रतिवेदन प्राप्त किए गए, जिससे परीक्षा के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की जानकारी समय पर मिल सके। प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि परीक्षा कदाचार मुक्त और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो।
जनवरी में रद्द की गई थी परीक्षा
गौरतलब है कि झारखंड सामान्य स्नातक योग्यताधारी संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा पहले जनवरी 2024 में आयोजित की गई थी, लेकिन तीसरे दिन इसे रद्द कर दिया गया था। इसके बाद, परीक्षा को दोबारा 21 और 22 सितंबर को आयोजित किया गया। इसके लिए प्रशासन और जीपीएस की ओर से अभ्यर्थियों को प्रवेश पत्र और सभी जरूरी सूचनाएं समय पर उपलब्ध कराई गई थीं। इसके बावजूद, बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों का अनुपस्थित रहना इस परीक्षा को लेकर कई सवाल खड़े करता है।
छात्रों की कम उपस्थिति के कारणों पर विचार
अभ्यर्थियों की कम उपस्थिति के पीछे के कारणों का विश्लेषण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षाविदों का मानना है कि सरकारी नौकरियों में अवसरों की कमी और युवाओं के बीच रुचि की कमी इस स्थिति के पीछे प्रमुख कारण हो सकते हैं। सरकार और प्रशासन को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा कि ऐसी कौन सी नीतियाँ और व्यवस्थाएँ लागू की जाएं जिससे युवाओं को सरकारी सेवाओं में अधिक रुचि उत्पन्न हो और वे प्रतियोगिता परीक्षाओं में सक्रिय भागीदारी कर सकें।
परीक्षा की सुरक्षा में सरकार का कड़ा कदम
परीक्षा को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए सख्त कदमों की सराहना की जा रही है। परीक्षा के दौरान कदाचार को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं को बंद करने के साथ-साथ केंद्रों पर सख्त नियम लागू किए गए। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए था कि परीक्षा में किसी भी प्रकार की अनुचित गतिविधि न हो और परीक्षा पूरी सुरक्षा और पारदर्शिता के साथ संपन्न हो सके।
अभ्यर्थियों के लिए आगे की चुनौतियाँ
जो अभ्यर्थी इस परीक्षा में शामिल हुए हैं, उन्हें अब अपने परिणाम की प्रतीक्षा है। परीक्षा समाप्त होने के बाद, अब अभ्यर्थियों के सामने आगे की चुनौतियाँ होंगी, जैसे कि कट-ऑफ और मेरिट लिस्ट का इंतजार। प्रशासन और परीक्षा आयोजित करने वाले अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया है कि परीक्षा परिणाम समय पर घोषित किए जाएंगे और प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी।
छात्रों और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसरों की तलाश
अभ्यर्थियों की कम उपस्थिति के बावजूद, यह आवश्यक है कि राज्य सरकार और प्रशासन युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करें। इससे युवाओं में सरकारी नौकरियों और प्रतियोगिता परीक्षाओं में रुचि बनी रहेगी। इसके साथ ही, युवाओं को प्रशिक्षण और करियर काउंसलिंग जैसे माध्यमों से रोजगार के बेहतर विकल्पों के बारे में जागरूक करना भी जरूरी है, ताकि वे इन अवसरों का सही तरीके से लाभ उठा सकें।