पाकुड़। उपायुक्त मृत्युंजय कुमार वर्णवाल और पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार की सकारात्मक पहल के बाद सदर अस्पताल के चिकित्सकों और कर्मचारियों ने 28 सितंबर से शुरू होने वाली अनिश्चितकालीन हड़ताल को वापस ले लिया है। यह निर्णय शुक्रवार को सदर अस्पताल में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान लिया गया, जहां डॉ. अमित कुमार ने इसकी पुष्टि की। हड़ताल की घोषणा अस्पताल में तोड़फोड़ और कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिक दर्ज किए जाने के बाद की गई थी, जिसे अब प्रशासन की मध्यस्थता से रद्द कर दिया गया है।
सिजेरियन ऑपरेशन के बाद हुई घटना
डॉ. अमित कुमार ने बताया कि 22 अगस्त को सदर अस्पताल में एक सिजेरियन ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया था। हालांकि, ऑपरेशन के 22 घंटे बाद मरीज की हालत बिगड़ गई और उसकी मृत्यु हो गई। मरीज को बचाने के लिए तीन-तीन चिकित्सकों ने पूरा प्रयास किया, लेकिन दुर्भाग्य से वे उसे नहीं बचा सके। इस घटना के बाद अस्पताल में असामाजिक तत्वों ने तोड़फोड़ की और सड़क जाम कर दिया। साथ ही, चिकित्सकों को मारने-पीटने की भी कोशिश की गई। इस मामले में पुलिस ने अस्पताल के सीएस डीएस, चिकित्सकों, नर्सों और कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिक दर्ज कर ली थी।
प्राथमिक दर्ज करने पर नाराजगी
डॉ. अमित ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, ऐसी किसी भी घटना के बाद जांच कमेटी गठित होनी चाहिए और कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही कोई कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन, पुलिस ने जल्दबाजी में बिना किसी जांच के प्राथमिक दर्ज कर दी। इस कार्रवाई के विरोध में अस्पताल के सभी कर्मचारियों ने 28 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया था। इसके पहले चिकित्सकों की एक प्रतिनिधि मंडल ने उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया और एक विज्ञप्ति सौंपी थी।
उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक की सकारात्मक पहल
डॉ. अमित कुमार ने बताया कि उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक ने चिकित्सकों को आश्वासन दिया कि उनके खिलाफ कोई अनुचित कार्रवाई नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन घटना पर नजर बनाए हुए है और चिकित्सकों को बिना किसी भय के अपनी सेवाएं जारी रखने के लिए प्रेरित किया। प्रशासन द्वारा दिए गए इस आश्वासन के बाद, सदर अस्पताल के सभी चिकित्सकों ने अपनी संभावित हड़ताल को वापस ले लिया है और अब अस्पताल की सभी सेवाएं पूर्ववत चल रही हैं।
“हम ईश्वर नहीं, लेकिन पूरा प्रयास करते हैं”
रांची में एक बैठक में शामिल डॉ. मनीष कुमार ने फोन पर कहा कि चिकित्सक भगवान नहीं होते, लेकिन वे अपने मरीजों को बचाने के लिए पूरी ईमानदारी और सतर्कता से इलाज करते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी चिकित्सक की मंशा कभी भी किसी मरीज के साथ अनहोनी होने की नहीं होती, लेकिन कभी-कभी अनहोनी हो जाती है, जो उनके नियंत्रण में नहीं होती। बावजूद इसके, कुछ लोग चिकित्सकों के साथ मारपीट, गाली-गलौज और अस्पताल में तोड़फोड़ करते हैं। प्राथमिक दर्ज किए जाने की घटनाओं से चिकित्सक बेहद चिंतित थे, लेकिन अब प्रशासन की पहल से सब कुछ ठीक हो गया है और अस्पताल में सभी सेवाएं पुनः चालू कर दी गई हैं।
अस्पताल में सेवाएं पूर्ण रूप से बहाल
डॉ. मनीष ने बताया कि प्रशासन के आश्वासन के बाद ओपीडी सेवाएं पूरी तरह से शुरू हो गई हैं और अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन सहित सभी चिकित्सा सेवाएं सामान्य रूप से चल रही हैं। उन्होंने कहा कि अब अस्पताल में किसी भी तरह की भय की स्थिति नहीं है और चिकित्सक पहले की तरह मरीजों की सेवा कर रहे हैं।
चिकित्सकों ने जताया आभार
अस्पताल प्रबंधन के सभी कर्मचारियों और चिकित्सकों पर मामला दर्ज होने के बाद सदर अस्पताल के चिकित्सक भयभीत थे। उन्होंने बताया कि इस कठिन समय में उन्हें जिला प्रशासन, पाकुड़ की आम जनता, नेताओं और बुद्धिजीवियों का पूरा सहयोग मिला। डॉक्टर अमित ने कहा, “हमें इस समर्थन के लिए बहुत आभार है।” अस्पताल के सभी कर्मचारियों ने इस सहयोग के लिए सभी को धन्यवाद दिया और कहा कि अब वे बिना किसी डर के अपने कार्य को जारी रखेंगे।
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हुआ कि प्रशासन की सकारात्मक पहल से न केवल चिकित्सकों का आत्मविश्वास बहाल हुआ है, बल्कि अस्पताल की चिकित्सा सेवाएं भी पूर्ववत जारी रखी गई हैं।