पाकुड़। व्यवहार न्यायालय के वरिष्ठ आशुलिपिक दिवाकर प्रसाद आज एक लंबे और समर्पित कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त हो गए। उन्होंने 28 वर्ष, 01 माह और 18 दिनों तक न्यायालय की सेवा की। उनके कार्यकाल की समाप्ति पर उन्हें न्यायालय परिसर में आयोजित एक विशेष समारोह में विदाई दी गई, जिसमें न्यायालय के सभी कर्मचारीगण और अधिकारी शामिल हुए।
इस विदाई समारोह का आयोजन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कक्ष में किया गया। इस अवसर पर न्यायाधीश ने दिवाकर प्रसाद के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपने सेवा कार्यों के दौरान अनुशासन, निष्ठा और कर्तव्यपरायणता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनकी कर्मठता और समर्पण के कारण ही उन्हें न्यायालय में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। न्यायालय की सभी महत्वपूर्ण कार्यवाहियों में उनकी भूमिका सराहनीय रही है।
समारोह के दौरान, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की ओर से दिवाकर प्रसाद को सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) की राशि और “लीव इन्कैसमेंट” की राशि से संबंधित दस्तावेज प्रदान किए गए। यह न्यायालय की ओर से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी को दी जाने वाली सम्मान राशि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस अवसर पर न्यायाधीश महोदय ने उपस्थित लेखापाल को निर्देश दिया कि दिवाकर प्रसाद जी की पेंशन चालू कराने हेतु आवश्यक कागजी कार्रवाई शीघ्र पूरी की जाए, ताकि उन्हें उनकी अन्य सेवानिवृत्ति लाभों का जल्द से जल्द भुगतान हो सके।
इसके अतिरिक्त, समारोह में दिवाकर प्रसाद के सेवा काल की कई उपलब्धियों का भी जिक्र किया गया। न्यायालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस अवसर पर अपने विचार साझा किए और कहा कि दिवाकर प्रसाद जी की कार्यशैली और उनके द्वारा दिए गए योगदान को लंबे समय तक याद रखा जाएगा। उनके सहकर्मियों ने उन्हें एक कुशल और जिम्मेदार कर्मचारी के रूप में याद किया, जिन्होंने हमेशा अपने कार्यों में निष्ठा और पारदर्शिता बनाए रखी।
कार्यक्रम के अंत में, दिवाकर प्रसाद को उनके आगामी जीवन के लिए शुभकामनाएँ दी गईं। सभी कर्मचारियों और अधिकारियों ने उन्हें भविष्य में सुखमय और स्वस्थ जीवन की कामना की। दिवाकर प्रसाद ने अपने विदाई भाषण में सभी का आभार व्यक्त किया और कहा कि न्यायालय में बिताए गए ये वर्ष उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण और सीखने वाले पल रहे। उन्होंने न्यायालय के समस्त कर्मचारियों और अधिकारियों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
यह विदाई समारोह सभी के लिए एक भावनात्मक क्षण था, जहाँ दिवाकर प्रसाद के योगदान को सम्मानित करते हुए उन्हें एक गरिमामयी विदाई दी गई।