पाकुड़। दुर्गा पूजा की तिथियों को लेकर भक्तों के बीच काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पंचांगों में विभिन्न तिथियों के कारण भक्तजन सही तिथि की खोज कर रहे हैं ताकि वे विधिपूर्वक मां दुर्गा की पूजा कर सकें। इस लेख में हम नवरात्रि की प्रमुख तिथियों—पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी और नवमी—का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही, इस वर्ष नवमी तिथि के क्षय की चर्चा भी करेंगे।
नवमी तिथि का क्षय: 10 अक्टूबर को होगी सप्तमी पूजा
हिंदू धर्म में नवरात्रि के व्रत और पूजा को उदीया तिथि के अनुसार रखा जाता है। इस वर्ष, नवरात्रि में चतुर्थी तिथि की वृद्धि हो रही है, जिसके कारण चतुर्थी तिथि का व्रत दो दिन पड़ रहा है। इस स्थिति के कारण नवमी तिथि का क्षय हो रहा है, अर्थात नवमी तिथि आधिकारिक रूप से लुप्त हो जाएगी। हालांकि, पूरे पक्ष का समय 15 दिनों का रहेगा, लेकिन नवरात्रि की पूजा केवल 9 दिनों की होगी।
पंचमी तिथि 7 अक्टूबर को रात 9:47 से प्रारंभ होकर 8 अक्टूबर के सुबह 11:17 तक रहेगी। इस समय के अनुसार, पंचांग के कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, नवरात्रि का पांचवां व्रत 8 अक्टूबर को ही रखा जाएगा। इसके बाद, 9 अक्टूबर को षष्ठी की पूजा होगी और 10 अक्टूबर को सप्तमी पूजा का आयोजन होगा।
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सप्तमी और अष्टमी की पूजा एक साथ निषेध
वैदिक शास्त्रों के अनुसार, सप्तमी और अष्टमी की पूजा एक साथ करना निषेध माना गया है। अष्टमी तिथि का शुभारंभ 10 अक्टूबर को दोपहर 12:35 पर होगा और यह तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12:05 पर समाप्त होगी। इस वर्ष, सप्तमी व्रत का पालन 10 अक्टूबर को किया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, सप्तमी और अष्टमी की पूजा अलग-अलग दिन करनी चाहिए, और इसलिए अष्टमी की पूजा 11 अक्टूबर को की जाएगी।
इस तिथि के अनुसार, 11 अक्टूबर को मां दुर्गा की महागौरी स्वरूप में पूजा की जाएगी। साथ ही, इस दिन नवमी व्रत का पालन भी किया जाएगा। ऐसे में, भक्तजन इन दिनों का ध्यान रखते हुए अपनी पूजा-अर्चना करें और विधिवत मां दुर्गा की उपासना करें।
दुर्गा अष्टमी व्रत का महत्व
दुर्गा अष्टमी का व्रत सनातन धर्म में विशेष स्थान रखता है। शारदीय नवरात्रि के दौरान अष्टमी तिथि को मां भगवती की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन कन्या पूजन का भी आयोजन किया जाता है, जिसे कुमारी पूजा कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन कन्याओं की पूजा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख, समृद्धि, और ऐश्वर्य का आशीर्वाद मिलता है।
दुर्गा अष्टमी का व्रत रखने वाले भक्तजन मां भगवती से जीवन में आ रही कष्टों के निवारण की प्रार्थना करते हैं। इस दिन का धार्मिक महत्व अत्यंत उच्च है और शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत का पालन करने से भक्तजन के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
विजयदशमी: 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा
दुर्गा पूजा का अंतिम दिन विजयदशमी होगा, जिसे 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। विजयदशमी के दिन मां दुर्गा को विदा किया जाता है, और इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रूप में मनाया जाता है। विजयदशमी का दिन रावण पर भगवान राम की विजय का प्रतीक है, जिसे भारतवर्ष के कई हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है।
इस वर्ष दुर्गा पूजा की तिथियों को लेकर भक्तों में कुछ असमंजस की स्थिति उत्पन्न हुई है, लेकिन विभिन्न पंचांगों के अनुसार, सप्तमी और अष्टमी की पूजा सही तिथियों पर संपन्न की जानी चाहिए। भक्तों को अपनी पूजा विधिपूर्वक करने के लिए उदीया तिथि का ध्यान रखना चाहिए और अपनी पूजा-अर्चना के लिए स्थानीय पंडितों से भी परामर्श करना चाहिए।
दुर्गा अष्टमी का व्रत और कन्या पूजन इस नवरात्रि के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है, और इसका धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। मां भगवती की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तजन इन विशेष दिनों का विधिपूर्वक पालन करें और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आह्वान करें।