पाकुड़। शहर में 9 अक्टूबर को संध्या 6:00 बजे जैसे ही मां दुर्गा की पट खुली, मां के प्रथम दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मां दुर्गा के छठे स्वरूप की पूजा षष्ठी के दिन पूरे भक्तिभाव और विधि-विधान के साथ संपन्न हुई। शहर के विभिन्न पूजा पंडालों में भक्तों की अटूट श्रद्धा और आस्था का दृश्य देखते ही बन रहा था। मां की पूजा और दर्शन के लिए लोगों का तांता लगा रहा, और पूरा शहर भक्तिरस में डूबा नजर आया।
पूजा पंडालों की भव्यता और श्रद्धा का संगम
पाकुड़ में कई प्रमुख स्थानों पर मां दुर्गा के विशाल और भव्य पंडाल बनाए गए हैं। हर पंडाल की अपनी खासियत और परंपरा है, जो न केवल भव्यता का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं की झलक भी प्रस्तुत करता है। भगत पाड़ा स्थित सरस्वती पुस्तकालय के पीछे एक विशाल पंडाल बनाया गया है, जहां भक्त मां दुर्गा के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में उमड़े। यह पंडाल अपनी भव्य सजावट और कलात्मक संरचना के लिए प्रसिद्ध है, जहां हर साल भव्य आयोजन किया जाता है।
इसके अलावा बैंक कॉलोनी, हरिनडंगा का हाई स्कूल, रेलवे फाटक के समीप, रेलवे कॉलोनी, नारी शक्ति क्लब, शिव शीतला मंदिर, तांती पाड़ा, मिलन मंदिर, काली तल्ला, राजा पाड़ा, सिंह वाहिनी मंदिर, मिस्त्री पड़ा मुड़की मातल्ला, ग्वालपाड़ा हाटपाड़ा, छोटी अलीगंज हार्तिक्की ताला, महाकाल मंदिर तलवाड़ा, खदान पड़ा, तलवा डंगा और बलिहारपुर मंदिर समेत अन्य स्थानों पर मां दुर्गा की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई और विधिवत कलश स्थापना की गई। सभी पंडालों में ढोल-नगाड़ों, शंख, और घंटों की ध्वनि के बीच मां की आरती संपन्न हुई।
सदियों पुरानी परंपरा और आस्था
पाकुड़ के बलिहारपुर में लगभग 300 वर्षों से मां दुर्गा की पूजा होती आ रही है, जो इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और आस्था को दर्शाती है। बलिहारपुर में मां दुर्गा की पूजा परंपरागत रूप से संपन्न की जाती है, और यहां हर साल सैकड़ों भक्त मां के दर्शन और आशीर्वाद के लिए आते हैं। इस पूजा का ऐतिहासिक महत्व इसे और भी खास बनाता है, जो पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं को जीवित रखे हुए है।
इसी प्रकार नारी शक्ति क्लब की ओर से भी इस वर्ष महिलाओं ने विधिवत पूजा पंडाल का उद्घाटन किया। यह पूजा समिति विशेष रूप से इसलिए भी अनोखी है क्योंकि इसके आयोजन और प्रबंधन की सारी जिम्मेदारियां महिलाओं के कंधों पर होती हैं। सरस्वती पुस्तकालय भगत पाड़ा की पूजा भी सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है, जहां हर साल मां दुर्गा की पूजा बड़े धूमधाम से की जाती है।
सिंह वाहिनी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
पाकुड़ का सिंह वाहिनी मंदिर राजा रजवाड़ों के जमाने से मां दुर्गा की पूजा का एक प्रमुख स्थल रहा है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां मां दुर्गा की अष्टधातु से बनी प्रतिमा स्थायी रूप से विराजमान है, जिसकी पूजा वर्षभर की जाती है। सिंह वाहिनी मंदिर भक्तों के लिए एक विशेष धार्मिक केंद्र है, जहां न केवल दुर्गा पूजा के समय, बल्कि सालभर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है।
तलवाडंगा महाकाल मंदिर की विशेषता
तलवाडंगा स्थित महाकाल मंदिर में इस वर्ष विशेष रूप से 108 हाथों वाली स्थायी प्रतिमा स्थापित है, जो भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यहां हर साल भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और महाकाल के दर्शन कर जीवन में शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
पूजा के अनुष्ठान और कलश स्थापना
सभी पंडालों में मां दुर्गा की कलश स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा विधिपूर्वक की गई। शास्त्रों के अनुसार, कलश स्थापना से मां दुर्गा की शक्ति का आह्वान किया जाता है, और इसे पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न किया जाता है। इस दौरान भक्तजन मंत्रोच्चार, शंखध्वनि और ढोल-ढाक के साथ मां की आरती करते हैं, जो पूरे वातावरण को भक्ति से सराबोर कर देती है।
पूजा पंडालों में भक्तों का उत्साह
हर पंडाल में भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। श्रद्धालुओं ने पूरे हर्षोल्लास के साथ मां के छठे स्वरूप की पूजा की और मां से सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। सभी पंडालों में मां की पूजा के दौरान भक्त अपने परिवार और मित्रों के साथ पंडालों में घूमते रहे और मां के दर्शन का लाभ उठाते रहे।
अध्यात्म और सामाजिक एकता का प्रतीक
पाकुड़ में दुर्गा पूजा न केवल आध्यात्मिक अनुभव का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सद्भावना का भी परिचायक है। विभिन्न पूजा समितियों द्वारा आयोजित पंडालों में स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आए श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। यह आयोजन पाकुड़ की धार्मिक और सांस्कृतिक एकता को और मजबूत करता है।
मां के आशीर्वाद से उन्नति की कामना
पूरे शहर में मां दुर्गा की पूजा के इस पवित्र आयोजन के साथ भक्तों ने मां से अपने जीवन में उन्नति, समृद्धि और शांति की प्रार्थना की। पंडालों में मां की आरती और पूजा के समय पूरा माहौल भक्तिमय हो गया, और हर तरफ मां दुर्गा की जय-जयकार सुनाई दी।
पाकुड़ के इन भव्य पंडालों और मां दुर्गा की पूजा का यह दृश्य न केवल धार्मिक उत्सव का प्रतीक है, बल्कि यह लोगों के दिलों में मां के प्रति अगाध श्रद्धा और विश्वास का परिचायक है। प्रस्तुत है पाकुड़ की पूजा पंडालों एवं पूजा की एक झलक-