पाकुड़। ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन पाकुड़ शाखा द्वारा किए गए प्रयासों का रंग आखिरकार दिखा। शाखा सचिव कामरेड संजय कुमार ओझा ने बताया कि नलहटी से लेकर गुमानी तक कार्यरत स्टेशन मास्टर एवं पोर्टरों को लगातार सात दिनों तक रात्रि प्रहर में ड्यूटी करनी पड़ती थी, जिससे उन्हें कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। कर्मचारियों की लंबे समय से मांग थी कि रात्रि ड्यूटी की संख्या सात दिन से घटाकर तीन दिन की जाए ताकि उनके स्वास्थ्य और जीवनशैली पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।
संघर्ष के फलस्वरूप आई सफलता
कामरेड संजय कुमार ओझा ने बताया कि यूनियन की ओर से लगातार इस मुद्दे पर प्रयास किया जा रहा था। अंततः इन प्रयासों के फलस्वरूप यूनियन को सफलता मिली है। अब स्टेशन मास्टरों की रात्रि ड्यूटी लगातार तीन दिनों तक ही होगी, जबकि पोर्टरों की रात्रि ड्यूटी को घटाकर दो दिन कर दिया गया है। इस बदलाव से कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है और उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में सुधार होने की उम्मीद है।
उपाध्यक्ष अरुण कुमार शाहा की विशेष भूमिका
शाखा के उपाध्यक्ष कामरेड अरुण कुमार शाहा की भूमिका इस सफलता में विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही। वह नलहटी से गुमानी तक परिचालन विभाग के कर्मचारियों के पर्यवेक्षक भी हैं। उन्होंने यूनियन के सहयोग से नए रोस्टर बनाने में कड़ी मेहनत की, जिससे कर्मचारियों की ड्यूटी का नया शेड्यूल लागू हो सका। इस प्रयास से परिचालन विभाग के सभी कर्मचारी काफी खुश हैं और उनकी कार्यक्षमता में भी सुधार होने की संभावना है।
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परिचालन विभाग में प्रसन्नता की लहर
रात्रि ड्यूटी की अवधि कम होने के निर्णय से परिचालन विभाग के कर्मचारियों में उत्साह का माहौल है। लंबे समय से वे इस बदलाव का इंतजार कर रहे थे, और अब यह बदलाव उनके स्वास्थ्य और कार्य संतुलन को बेहतर बनाएगा।
चतरा और मुरारई में पोर्टरों की संख्या बढ़ाने का प्रयास
यूनियन ने न सिर्फ रात्रि ड्यूटी की संख्या घटाने पर ध्यान दिया है, बल्कि कर्मचारियों की सुविधा बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए हैं। संगठन द्वारा चतरा और मुरारई में प्रत्येक शिफ्ट में दो पोर्टर दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे कार्यभार समान रूप से विभाजित हो सके और कर्मचारियों पर दबाव कम हो।
अन्य प्रयास अंतिम चरण में
इसके अलावा, नलहटी, चतरा, और राजग्राम में पोर्टरों की ड्यूटी को आठ घंटे तक सीमित करने के प्रयास भी लगभग अंतिम चरण में हैं। यूनियन का यह प्रयास कर्मचारियों के स्वास्थ्य और आरामदायक कार्य वातावरण के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित होगा। कामरेड संजय कुमार ओझा ने यह भी बताया कि पाकुड़ शाखा द्वारा अधूरे कार्यों को शीघ्र पूरा करने की दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है।
भविष्य की योजनाएं
पाकुड़ शाखा ने यह भी सुनिश्चित किया है कि भविष्य में कर्मचारियों की बेहतरी के लिए ऐसे ही सकारात्मक प्रयास जारी रहेंगे। यूनियन का उद्देश्य है कि कर्मचारियों को सुरक्षित और स्वस्थ कार्य वातावरण मिले ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को बिना किसी दबाव के निभा सकें।
इस पूरे प्रयास से यह स्पष्ट हो गया है कि ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन पाकुड़ शाखा कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और उनके स्वास्थ्य एवं कार्य संतुलन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर कार्यरत है।