पाकुड़। जिले के 113 ग्राम पंचायतों में पेसा दिवस के अवसर पर विशेष ग्राम सभाओं का आयोजन किया गया। प्रत्येक पंचायत में जनसंख्या के आधार पर सबसे बड़ी ग्राम सभा में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इन सभाओं की अध्यक्षता पारंपरिक नेतृत्वकर्ताओं, जैसे ग्राम प्रधान, मांझी, और महतो ने की। इस अवसर पर झारखंड पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) नियमावली, 2022 और संबंधित संवैधानिक प्रावधानों पर चर्चा की गई।
झारखंड पंचायत उपबंध नियमावली, 2022 पर चर्चा
ग्राम सभाओं में झारखंड पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) नियमावली, 2022 को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ। इस नियमावली को झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 की धारा-131 की उपधारा (ⅰ) के तहत वैध और संवैधानिक माना गया है। यह नियमावली अनुसूचित क्षेत्रों के विस्तार को सुनिश्चित करती है और स्थानीय स्वशासन को मजबूत करती है।
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महत्वपूर्ण न्यायालयीन आदेशों पर विचार
ग्राम सभाओं में सिविल अपील संख्या 484 और 491/2006 (राकेश कुमार बनाम भारत सरकार) और झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश WP (PIL) संख्या 2549/2010 (प्रभु नियारन सेमुएल सुरीन बनाम भारत सरकार) पर चर्चा की गई। इन आदेशों ने झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 को पूर्णत: संवैधानिक माना है और इसे लागू करने में किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं बताई है।
छठी अनुसूची और झारखंड राज्य
पेसा दिवस के अवसर पर छठी अनुसूची के प्रावधानों और पैटर्न के बीच अंतर को समझाया गया। यह स्पष्ट किया गया कि छठी अनुसूची के प्रावधान झारखंड पर लागू नहीं होते। छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम जैसे राज्यों के लिए बनाई गई है। झारखंड में केवल छठी अनुसूची के पैटर्न का पालन किया जाएगा।
माननीय न्यायालय के निर्देश
माननीय उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय ने कहा कि पेसा अधिनियम, 1996 की धारा-4(0) को लागू करने के लिए झारखंड राज्य को किसी अलग मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं है। झारखंड ने पंचायत राज अधिनियम, 2001 को लागू करते समय पेसा अधिनियम के प्रावधानों का पूरी तरह पालन किया है। न्यायालय ने यह भी सुनिश्चित किया कि झारखंड में संवैधानिक प्रावधानों का पालन सही तरीके से हो रहा है।
ग्रामीण विकास के प्रति प्रतिबद्धता
पेसा दिवस के आयोजन ने झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों के विकास, ग्रामीण प्रशासन के सशक्तीकरण और जनजातीय समुदायों के अधिकारों की रक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाया। इन ग्राम सभाओं के माध्यम से न केवल संवैधानिक प्रावधानों पर जागरूकता फैलाई गई, बल्कि ग्रामीणों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में भी जानकारी दी गई।
समाज में जागरूकता और सहभागिता का संदेश
पेसा दिवस के आयोजन ने पारंपरिक ग्राम सभाओं की महत्ता को पुनर्जीवित किया और ग्रामीणों को उनकी जिम्मेदारियों और अधिकारों के प्रति जागरूक किया। इस प्रकार के कार्यक्रम स्थानीय स्वशासन को मजबूत बनाने और समाज के समग्र विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।