पाकुड़। जिले में नगर परिषद क्षेत्र में ओबीसी आरक्षण को लेकर चल रहे जातिगत सर्वेक्षण का कार्य पूरा हो गया है। इस संबंध में मंगलवार को एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता जिला पंचायत राज पदाधिकारी प्रीतिलता मुर्मु ने की। बैठक में बीएलओ, बीएलओ पर्यवेक्षक, और कंप्यूटर ऑपरेटर शामिल हुए।
प्रशासक नगर परिषद ने दी जानकारी
बैठक में प्रशासक नगर परिषद अमरेन्द्र चौधरी भी उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि नगर परिषद क्षेत्र में जातिगत सर्वेक्षण का कार्य बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) के माध्यम से संपन्न किया गया है। सर्वेक्षण के तहत सभी परिवारों की जाति संबंधी जानकारी को दर्ज किया गया है।
जातिगत सर्वेक्षण की सूची होगी प्रकाशित
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सर्वेक्षण के बाद तैयार की गई सूची को 9 जनवरी 2025 को सार्वजनिक किया जाएगा। यह सूची नगर परिषद कार्यालय और जिला पंचायत राज पदाधिकारी कार्यालय में रखी जाएगी। नागरिक इन स्थानों पर जाकर सूची का निरीक्षण कर सकेंगे।
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दावा और आपत्ति के लिए सात दिनों का समय
जिन नागरिकों को सूची में दर्ज उनकी जाति संबंधी जानकारी को लेकर कोई आपत्ति या सुधार करवाना है, उन्हें यह अवसर प्रदान किया गया है। वे सात दिनों के भीतर यानी 9 जनवरी से 15 जनवरी 2025 के बीच अपनी आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। आपत्ति दर्ज कराने के लिए नगर परिषद कार्यालय और जिला पंचायत राज पदाधिकारी कार्यालय में आवेदन किया जा सकता है।
जातिगत सर्वेक्षण: ओबीसी आरक्षण प्रक्रिया का महत्वपूर्ण कदम
जातिगत सर्वेक्षण, ओबीसी आरक्षण प्रक्रिया को सटीक और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सर्वेक्षण न केवल समुदाय की वास्तविक स्थिति को सामने लाएगा, बल्कि आरक्षण नीति को लागू करने में भी सहायक होगा। नगर परिषद प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि सर्वेक्षण में सभी जरूरी जानकारी को सही और पारदर्शी तरीके से शामिल किया जाए।
प्रशासन की अपील: समय पर दर्ज कराएं आपत्ति
प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे सूची में दर्ज जानकारी को ध्यानपूर्वक देखें। यदि किसी प्रकार की त्रुटि या सुधार की आवश्यकता हो, तो समय पर आपत्ति दर्ज कराएं। प्रशासन ने यह भी आश्वासन दिया है कि सभी आपत्तियों का समाधान पारदर्शी तरीके से किया जाएगा।
बैठक में अधिकारियों की भागीदारी
इस बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे। सभी ने सर्वेक्षण कार्य की समीक्षा की और सूची के प्रकाशन से संबंधित प्रक्रिया पर चर्चा की।
जातिगत सर्वेक्षण की सफलता प्रशासन और नागरिकों के आपसी सहयोग पर निर्भर करती है। यह कदम न केवल आरक्षण प्रक्रिया को मजबूत बनाएगा, बल्कि समाज में समावेशिता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में भी सहायक होगा।